27 July 2025
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव का बड़ा बयान,,, झीरम घाटी हमला मात्र नक्सली हमला न होकर एक षड़यंत्र था ,जिसका उद्देश्य तत्कालीन अध्यक्ष स्व नंदकुमार पटेल की हत्या थी,,,कहा,आज तक एनआईए की रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं सौपना अनेक शंकाओ को दे रहा जन्म
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पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव का बड़ा बयान,,, झीरम घाटी हमला मात्र नक्सली हमला न होकर एक षड़यंत्र था ,जिसका उद्देश्य तत्कालीन अध्यक्ष स्व नंदकुमार पटेल की हत्या थी,,,कहा,आज तक एनआईए की रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं सौपना अनेक शंकाओ को दे रहा जन्म

sarguja express …..

अम्बिकापुर। झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में शहीद हुए कांग्रेस नेताओं और उनके सुरक्षा कर्मियों की 12 वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरांत पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि झीरम घाटी हमला मात्र नक्सली हमला न होकर एक षड़यंत्र था जिसका उद्देश्य कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष स्व नंदकुमार पटेल की हत्या थी। 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला हुआ था। इस हमले में कांग्रेस के 14 नेताओं उनके सुरक्षकर्मियो सहित 33 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसमें कांग्रेस के कद्दावर नेता पंडित विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, योगेंद्र शर्मा, दिनेश पटेल आदि थे। उस समय तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष स्व नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस पूरे छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा का कार्यक्रम कर रही थी जिसके प्रभारी पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री टी एस सिंहदेव थे। घटना दिनांक को परिवर्तन यात्रा सुकमा में सभा उपरांत जगदलपुर की ओर लौट रही थी तभी नक्सलियों ने दरभा के झीरम घाटी में यात्रा पर हमला कर कांग्रेस नेताओं सहित 33 लोगों की हत्या कर दी थी। झीरम घाटी हमलों की बरसी पर जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पूरी घटना को सिलसिलेवार ढंग से बतलाने के बाद उन पहलुओं का खुलासा किया जो 25 मई 2013 की घटना में एक गहरे षडयंत्र की ओर इशारा कर रहे थे। पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री टी एस सिंहदेव, कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक एवं बस्तर कांग्रेस के नेता राजेश तिवारी सुकमा में परिवर्तन रैली के रवाना होने के कुछ समय पूर्व अगले सभा की तैयारियों के लिए वहाँ से वापस निकल गए थे। उस दौरान उन्होंने पूरे मार्ग में कहीं भी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं देखा था। जबकि प्रशासन को रूट की जानकारी दी गई थी। प्रशासन के पास इलाके में नक्सलियों के मूवमेंट के कई इनपुट होने के बावजूद ऐसा नहीं होना आश्चर्यजनक था। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि नक्सलियों ने हमलों के दौरान कई बार स्व नंदकुमार पटेल के बारे में पूछताछ कर उनकी पहचाना की और उसके बाद उन्हें और उनके पुत्र को अलग जंगल में ले जाकर उनकी हत्या कर दी। वास्तव में हमला स्व नंद कुमार पटेल को लक्ष्य कर किया गया था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते स्व नंदकुमार पटेल का मुख्यमंत्री बनना तय था। कोई था जो नहीं चाहता था कि वो मुख्यमंत्री न बने। इसी उद्देश्य से झीरम हमलों की सुनियोजित साजिश रची गई। उन्होंने एनआईए जाँच के लिये तय बिंदुओं को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने एनआईए
की जांच के लिये यह बिंदु ही तय नहीं किया कि यह घटना कैसे हुई, इस घटना की चूक का जिम्मेदार कौन था, नक्सली मूवमेंट की सूचना के बावजूद सुरक्षा बंदोबस्त क्यों नहीं थे। घटना के षड़यंत्र को जानने के लिए इन बिंदुओं पर जांच करवाने के बजाय राज्य सरकार ने एनआईए को भविष्य में ऐसी घटना न हो को जांच का मुख्य बिंदु बनाया गया। लाख प्रयास के बावजूद भी आज तक एनआईए की रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं सौपना अनेक शंकाओ को जन्म देता है। उन्होंने कहा कि वे परिवर्तन यात्रा के प्रभारी थे, लेकिन कभी भी एनआईए के द्वारा उन्हें पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाना आश्चर्यजनक है। इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्री बालकृष्ण पाठक ने भी झीरम हमलों और परिवर्तन यात्रा के राजनीतिक प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त किए। श्रद्धांजलि सभा को श्री हेमंत सिन्हा, मो इस्लाम, शैलेंद्र प्रताप सिंह, मदन जायसवाल, अशफाक अली, लोकेश पासवान, मिथुन सिंह और अमित वर्मा ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम एवं व्यवस्था का संचालन अमित तिवारी एवं निक्की खान के द्वारा किया गया। सभा मे शफीक खान, दुर्गेश गुप्ता, अनिल सिंह, अतुल तिवारी, विनोद एक्का, हरभजन भामरा, राशिद अहमद, मेराज गुड्डू, जमील खान, नरेन्द्र विश्वकर्मा, काजू खान, संजय सिंह, रजनीश सिंह, अविनाश कुमार, विकास केशरी, मो रियाजुल, मो सिराजुद्दीन, तरणराज बाबरा, सोहन जायसवाल,हनुमान सिंह, बैजनाथ ठाकुर, बिज्जू गुप्ता, दुर्गा गुप्ता, सावित्री ठाकुर, साधना कश्यप, मंजू सिंह, अमित सिन्हा, राजेश पांडे, कृष्ण मुरारी शर्मा आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।

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