रायपुर। कौशल्या की धरती की राजधानी रायपुर से सटे अमलेश्वर में जहां उत्तर वाहिनी पवित्र खारून नदी अपने सबसे पावन रुप में दर्शन देती है, वहां है श्री महाकाल धाम अमलेश्वर। यहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई पूजा-पाठ से आस्था का नया उदय हो रहा है। बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने श्री महाकाल धाम अमलेश्वर में फलाश विधि के द्वारा नारायण नागबली, कालसर्प की पूजा कराई। साथ ही विवाह में आने वाली बाधाओं के निवारण के लिए कुंवारे युवाओं ने अर्क विवाह और कन्याओं ने कुंभ विवाह भी करवाया। आपको बता दें कि श्री महाकाल धाम में करीब 20 साल से अनवरत ये पूजा चल रही है। सैकड़ों की संख्या में पहुंचने वाले भक्त यहां देव दर्शन और पवित्र स्नान के बाद पूजा-पाठ कराते हैं।
786 नंबर की जमीन पर प्रगट हुए भोलेनाथ!
दिलचस्प तथ्य ये है कि श्री महाकाल धाम अमलेश्वर जिस जगह पर स्थित है, उस जमीन का खसरा नंबर 786 है। इसी धाम से पवित्र खारुन दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर से मुड़कर इस जगह को और भी पवित्र पावन बना देती है। इस विशाल धाम के पास साल 2004 में स्वयंभू शिवलिंग प्रगट हुआ। वो जुलाई महीने की तीन तारीख थी और सावन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि। इसी के बाद यहां शिवलिंग की एक टेंट में पूजा होने लगी और बाद में इसे भव्य, दिव्य श्री महाकाल धाम अमलेश्वर का रुप दिया गया।
हर रोज सैकड़ों भक्त पाते हैं प्रसादी
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर मंगल तीर्थ में श्रद्धालु न केवल पूजा करते हैं, बल्कि पूजन के बाद विधिवत रूद्राभिषेक एवं महाप्रसादी भी ग्रहण करते हैं। हर दिन सैकड़ों की संख्या में पहुंचने वाले भक्त यहां अन्न भोजन, प्रसादी ग्रहण करते हैं। श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी बताते हैं कि श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के गर्भगृह में विराजे भगवान भोलेशंकर के साथ ही परिक्रमा में श्री गणेश जी महाराज, कैलाश अधिपति शंकर और महामाया चतृभुजी दुर्गा की प्रतिमा प्रतिस्थापित है। धाम के द्वार पर नंदी और सामने ही अमलेश्वर क्षेत्र अधिपति भगवान शनि की अद्भुत प्रतिमा है।
अगले महीने तीन दिनी भव्य पूजा-प्राण प्रतिष्ठा समारोह
श्री महाकाल धाम अमलेश्वर के सर्वराकार पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि अगले महीने 16, 17 और 18 जनवरी 2024 को श्री महाकाल धाम अमलेश्वर में पुनर्प्रतिस्थापना समारोह रखा गया है। जिसमें करीब सौ से ज्यादा देश के प्रमुख विद्वान आचार्यों के आचार्यत्व में भगवान श्री के सभी विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा होगी।