21 April 2025
ब्रिटिश गवर्नमेंट के ऑफिसर ‘वाड्रफ’ के नाम पर बना ‘वाड्रफनगर’…100 साल बाद अब ‘वासुदेव नगर’ के नाम पर बनी सहमति…. वाड्रफनगर से पहले क्या नाम था यह भी जाने…
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ब्रिटिश गवर्नमेंट के ऑफिसर ‘वाड्रफ’ के नाम पर बना ‘वाड्रफनगर’…100 साल बाद अब ‘वासुदेव नगर’ के नाम पर बनी सहमति…. वाड्रफनगर से पहले क्या नाम था यह भी जाने…

 

.. sarguja express 

(दीपक सराठे)

अम्बिकापुर/वाड्रफनगर। बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर नगरपंचायत के परिषद की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। परिषद ने सर्वसम्मति से वाड्रफनगर का नाम बदलकर वासुदेवनगर करने का प्रस्ताव पास किया गया है। ब्रिटिश गवर्नमेंट में विजिट के लिए पहुंचे आफिसर ‘वाड्रफ’ के नाम पर वर्ष लगभग 1925 के समय वाड्रफनगर का नामकरण किया गया था।

इतिहासकार गोविंद शर्मा के अनुसार उसे वक्त सरगुजा काफी दूर्गम क्षेत्र हुआ करता था। बाघ और हाथी का आतंक भी काफी था। बाघ के आतंक से लोगों को बचाने के लिए उसे वक्त महाराज रामानुज शरण सिंह देव ने कई बाघ का शिकार किया। अनजाने में ही बाघ मारने का उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना दिया था। महाराजा रामानुज शरण सिंह देव कभी सोते हुए जानवर या फिर गर्भ धारण किए जानवर या आराम कर रहे जानवरों का शिकार नहीं करते थे। इस दौरान ब्रिटिश गवर्नमेंट के ऑफिसर ‘वाड्रफ’ सरगुजा विजिट के लिए आए हुए थे। इस दौरान वाड्रफनगर क्षेत्र जो उस वक्त ‘गरिया’ नाम से जाना जाता था। वहां बाघ के आतंक की सूचना पर महाराजा रामानुज शरण सिंह देव ऑफिसर ‘वाड्रफ’ को लेकर शिकार के लिए पहुंचे थे। दोनों ही एक पेड़ पर मचान लगा कर बैठे थे। इस दौरान बाघ पेड़ के नीचे आकर सुस्ता रहा था। आराम कर रहे बाघ पर ऑफिसर ‘वाड्रफ’ ने फायर करने की मंशा बनाई। महाराजा रामानुजन शरण सिंह देव ने उन्हें रोका। तब तक ऑफिसर ‘वाड्रफ’ ने हवाई फायर कर दिया। बाघ चौकन्ना होकर मचान के ऊपर ही छलांग लगा दिया। यह देखकर महाराज रामानुज शरण सिंह देव ने गोली चला दी जो बाघ की खोपड़ी में लगी। बाघ सीधे महाराजा व ‘वाड्रफ’ के ऊपर जाकर गिरा। दोनों ही खून से लथपथ हो गए थे। बाघ के आतंक से मुक्ति मिलने पर क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली थी। उसी समय से क्षेत्र का नाम बदलकर वाड्रफनगर कर दिया गया था।

गुलामी का प्रतीक मान लंबे समय से थी मांग

भारतीय जनता पार्टी संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों की यह लंबे समय से मांग थी कि वाड्रफनगर का नाम अंग्रेजी शासनकाल के दौरान रखा गया था, जो अब गुलामी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। भाजपा संगठन ने कई कार्यक्रमों के माध्यम से वासुदेवनगर नामकरण की मांग को उठाया था, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी समर्थन दिया। इस संबंध में भाजपा संगठन के द्वारा विभिन्न स्तरों पर आवाज उठाई गई थी।

जीते हुए पार्षदों ने इस मुद्दे को दी अहमियत

भा.ज.पा. के वाड्रफनगर मण्डल अध्यक्ष ने भी चुनाव प्रचार के दौरान यह घोषणा की थी कि यदि निकाय चुनाव में उनकी पार्टी की सरकार बनती है, तो उनका पहला एजेंडा परिषद में वाड्रफनगर का नाम बदलकर वासुदेवनगर करने का प्रस्ताव पास कराना होगा। इसके बाद भाजपा के अध्यक्ष एवं बहुमत में जीते हुए पार्षदों ने इस मुद्दे को अहमियत दी और वाड्रफनगर का नाम बदलने का निर्णय लिया। इसके बाद आयोजित नगरपंचायत परिषद की बैठक में वाड्रफनगर का नाम बदलने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई और सभी पार्षदों के सहयोग से यह प्रस्ताव पास हो गया। इस निर्णय के साथ वाड्रफनगर का नाम बदलकर अब वासुदेवनगर किया जाएगा, जो क्षेत्रीय जनता के बीच एक नई पहचान बनेगा।

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