रामानुजगंज।नगर सीमा से सटे 100 बिस्तर अस्पताल से 100 मीटर की दूरी पर स्थित पर्यटन स्थल जलकेश्वर विगत कई वर्षों के बाद झरना चलने से अपनी प्राकृतिक सुंदरता को बिखेर रहा है। जलकेश्वर दशकों से उपेक्षा का शिकार है यदि जनप्रतिनिधि ध्यान देते हैं तो यह बलरामपुर रामानुजगंज जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार हो सकता है नगरवासियों की भी मनसा है कि जलकेश्वर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
गौरतलब है कि कुछ वर्ष पहले तक जलकेश्वर रामानुजगंजवासी पिकनिक स्पॉट के रूप में जलकेश्वर पहली पसंद हुआ करती थी यहां स्थिति ऐसी होती थी कि सावन की झड़ी लगते ही पिकनिक मनाने वालों की भीड़ उमड़ने लगती थी। जलकेश्वर पहाड़ के ऊपर तो मेंला जैसा माहौल हो जाता था चारों तरफ लोग झूला लगाकर झूलते थे एवं झरने में स्नान कर आनंदित होते थे। जलकेश्वर पहाड़ के ऊपर घूमने के लिए पर्याप्त जगह है एवं काफी संख्या में लोग यहां एकत्रित भी हो सकते हैं यहां दो तरफ से पानी आकर झरने का रूप लेता है परंतु विगत कुछ वर्षों से लगातार उपेक्षा होने से धीरे-धीरे यह पर्यटन स्थल में लोगों का आना काम हुआ है यदि जलकेश्वर को सवारा जाता है तो यह जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है।
अंधाधुन पेड़ों की कटाई लगा रहे है खूबसूरती को ग्रहण
एक ओर जलकेश्वर पहाड़ अपने नैसर्गिक खूबसूरती एवं पेड़ों के कारण लोगों को अपनी और आकर्षित करता है वही यहां विगत कई वर्षों से लगातार अवैध रूप से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जो काफी चिंता का विषय है अब भी समय है कि पेड़ों की कटाई को रोका जाए नहीं तो यहां की भी स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी।
दो तरफ से जाया जा सकता है जलकेश्वर पहाड़ पर
जलकेश्वर पहाड़ पर जाने के लिए दो तरफ से रास्ता है एक रास्ता तो चट्टानों के बीच से होकर गुजरता है वहीं दूसरा पथरीला रास्ता है परंतु दोनों रास्ते से आसानी से जलकेश्वर पहाड़ पर जाया जा सकता है यहां जाने वाले लोग अपने सुविधा के अनुसार दोनों में से किसी भी रास्ते को चुनते हैं।
बहुत वर्ष बाद चल रहा है झरना
पहले पूरे बरसात के समय जलकेश्वर में मोटा धार में झरना चलता था ऊपर में तालाब नुमा पानी जमा रहता था परंतु जिस प्रकार से अंधाधुन पेड़ों की कटाई हुई उससे अब झरना पूरे बरसात के समय नहीं चलता है जब वर्षा बहुत होती है तो कुछ दिनों तक ही झरना चलता है।
पहले रहता था पर्यटकों से गुलजार
पूरे सावन पहले जलकेश्वर पर्यटकों से गुलजार रहता था पहाड़ के नीचे से लेकर पहाड़ के ऊपर तक सैकड़ो की संख्या में लोग यहां हमेशा देखे जा सकते थे परंतु लगातार जलकेश्वर की हुई उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे यह गुमनाम हो जा रहा है।