मुकेश कुमार गुप्ता
बतौली। पत्थलगांव से अंबिकापुर तब 74 किलोमीटर लंबी सडक का निर्माण जुलाई तक पूरा नहीं हो सका। जबकि तीसरी बार सडक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य बढाया गया था। अब विभाग का कहना है कि इस सडक का निर्माण पूरा करने में अक्टूबर तक का समय लग सकता है। वहीं ब्रिज का निर्माण 2024 से पहले पूरा नहीं हो पाएगा। इसकी वजह से इस मार्ग पर चलने वाले लोग परेशान हैं तो लगातार हादसे भी हो रहे हैं।पडताल में सामने आया कि सबसे पहले जीवीआर ठेका कंपनी ने इस हाइवे का निर्माण करने ठेका लिया था लेकिन वह काम छोड़कर भाग गई। इसके बाद कोरोना में सडक निर्माण प्रभावित हुआ। वहीं तिरूपति बाला जी ठेका कंपनी ने 95.8 किलोमीटर सडक व 18 पुल पुलियों के निर्माण का ठेका लिया। इस बीच 21.5 किलोमीटर सडक की लंबाई बाइपास निर्माण के कारण कम कर दिया गया। इसकी वजह से अब कंपनी पुल पुलियों के साथ 74 किलोमीटर सडक का निर्माण 309 करोड रूपए में कर रही है। जबकि बाइपास निर्माण का प्लान नहीं बना था तब इस सडक का टेंडर 423 करोड रूपए में किया गया था। अब हालत यह है कि इस मार्ग में जहां पर भी पुलिया बने हैं वहां सडक का निर्माण नहीं किया गया है। इसके कारण हादसों का खतरा बना हुआ है। इसी तरह काली मंदिर के पास से डी हिलाक्स तक सडक का निर्माण अधूरा पडा हुआ है। इसका निर्माण जुलाई तक पूरा करने ठेकेदार को समय दिया गया था। लेकिन अब तक निर्माण पूरा नहीं हुआ।
निर्माण में इसलिए लग रहा वक़्त
अधिकारियों का कहना है कि इस पैच के निर्माण को पूरा करने में वक्त इसलिए लग रहा है क्योंकि घाट कटिंग का काम बाकी है तो यहां छह मीटर तक मिट्टी फिलिंग करने के बाद सडक निर्माण आगे बढेगा तो अंबिकापुर से आने वाले और जाने वाले वाहनों को डायर्वट करने के लिए कोई दूसरा रूट भी नहीं है। ऐसे में सडक निर्माण जब चलेगा तब इसी रोड के एक हिस्से से वाहनों की आवाजाही होगी। इससे निर्माण में समय लगेगा।*
बाईपास के निर्माण की वजह से घट गई सड़क की लम्बाई
ठेका कंपनी के द्वारा इस हाइवे से बनारस रोड को जोडने के लिए एक बाइपास रोड का भी निर्माण किया जाएगा। इसके कारण पत्थलगांव अंबिकापुर मार्ग की लंबाई को 21.5 किलोमीटर कम कर दिया गया है। ऐसे में बाइपास का निर्माण टेंडर के आधार पर दूसरे ठेकेदार के द्वारा किया जाएगा।महाबीरपुर से सांड़बार के पास बिलासपुर रोड को पार कर यह बाइपास रायगढ़ मार्ग को लुचकी घाट से जोड़ेगी। बाइपास बन जाने से कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाली भारी वाहनें इसी से गुजर जाएंगी।बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से आने-जाने वाली वाहन जिन्हें कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग में गंतव्य की ओर जाना है उन्हें भी शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अक्टूबर 2023 तक होगा निर्माण पूरा-नितेश तिवारी
नेशनल हाइवे के ईई नितेश तिवारी बताया कि इस रोड के निर्माण के लिए तीन बार एक्सटेंशन देकर जुलाई तक का समय दिया गया था।लेकिन निर्माण पूरा नहीं हो सका।अब अक्टूबर तक सडक का काम पूरा होने की उम्मीद है।वहीं ब्रीज का निर्माण में वक्त लगेगा।ठेकेदार का टाइम लिमिट खत्म हो गया है,उसे बढाने के लिए आवेदन करेगा।
राष्ट्रीय राज्य मार्ग 43 जो अब इस नाम से जाना जाता है पहले राष्ट्रीय राज्य मार्ग 78 था।जब मार्ग में आवागमन की गणना की गई तब इसका नाम बदल कर 43 कर दिया गया।इस मार्ग का कार्य प्रारंभ तिथि 7 अक्टूबर 2016 है।वर्ष 2017 के जनवरी- फरवरी में कार्य प्रारंभ हुआ था,जिसको 6 अक्टूबर 2018 तक पूर्ण करना था।मूल ठेका कंपनी GVR ने कार्य प्रारंभ कर 7 किलोमीटर तक अर्थ वर्क कार्य किया फिर आर्थिक संकट से जूझ रहे GVR ने कई कंपनियों को पेटी कांट्रेक्ट में कार्य दिया।टीबीसीएल ने पेटी कांट्रेक्ट के तहत 2021 तक कार्य किया।अब टीबीसीएल मूल कम्पनी बन गई है।फिर भी कार्य पूर्ण नही कर पा रही।