रामानुजगंज. जिस स्कूल में मैंने पढ़ाई की वहा सुविधा बहुत ही कम थी। स्थिति ऐसी थी कि हायर सेकेंडरी की पढ़ाई करने के लिए मेरे पास विषय चयन का विकल्प नहीं था। मैंने जीव विज्ञान लिया क्योंकि जीव विज्ञान की कक्षा लगती थी एवं जीव विज्ञान की टीचर थे। मैं हमेशा सेकंड आने पर मिठाईयां बाटता था जब कॉलेज गया तो पता चला कि फर्स्ट डिवीजन का महत्व क्या है। स्कूल के समय में लक्ष्य कुछ और था और कॉलेज जाने के बाद लक्ष्य कुछ और निर्धारित हो जाता है। अगर आप ठान लेंगे तो आपके सामने कोई भी मुसीबत आपको आपके लक्ष्य की प्राप्ति से नहीं रोक सकता है उक्त उद्गार महाविद्यालय के हजारों छात्राओं को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ लाल उमेद सिंह ने कहीं।
उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के प्रति मोटिवेट करते हुए कहा कि मेरा सफर पेंड्रा के छोटे से गांव अंडी से शुरू हुआ एवं आज आप लोगों के बीच आज पुलिस अधीक्षक के रूप में संबोधित कर रहा हूं यदि मैं अपने लक्ष्य के प्रति दृड़ नहीं रहता और परिस्थितियों से हार मान जाता तो शायद यहां तक नहीं पहुंच पाता। 1986 में 10+ 2 लागू हुआ। उस समय हम लोग अपने गांव के मात्र 6 लड़के थे जिन्होंने दसवीं पास किया था व 11वीं में दाखिला कराया। हम लोग के समय ऐसी स्थिति रहती थी की बहुत कम लोग ही पास हो पाते थे। हम लोग के समय दसवीं में पूरे मध्य प्रदेश में 7% लोग ही पास हुए थे बाद में 30% लोग बोनस से पास हुए थे। मात्र एक टीचर के भरोसे एवं मात्र एक विषय के भरोसे हम लोगों ने 11वीं 12वीं की पढ़ाई की। आज आपके सामने पढ़ाई की सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। गाइडेंस की कोई कमी नहीं है बस कमी है आपकी मेहनत दृढ़ संकल्प कि यदि आप चाह लेंगे तो निश्चित रूप से सफल होंगे।
ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं था, पीएससी में प्रारंभिक परीक्षा में हुआ चयन
उन्होंने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं जब पीएससी का प्रारंभिक एग्जाम दिया तो उसका रिजल्ट आया और उसमें पास हो गया था लेकिन समस्या थी कि मेरा ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं था रिजल्ट आने की एक माह के बाद ग्रेजुएशन कंप्लीट हुआ जिसके बाद मैं बाद की परीक्षाएं दी।
सिर्फ एक दिन गए थे कोचिंग, उधार के किताब से निकाला पीएससी की परीक्षा
महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने बताया कि मैं सिर्फ एक दिन कोचिंग गया था। वही लोक प्रशासन का किताब दूसरे से उधार मांग कर पढ़ा था। जब मैं कोचिंग गया था तो देखा कि कई भाई लोग कह रहे थे कि मेरा एक नंबर से रह गया कोई कह रहे थे 10 नंबर से रह गया तो मुझे लगा कि मैं भी कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि कभी भी आप नकारात्मक विचार अपने मन में नहीं आने दे आप कर सकते हैं ऐसा विचार के साथ परीक्षा की तैयारी करें आप जरूर निकाल लेंगे।