27 July 2024
बड़ी खबर,,,सरगुजा में क्षय बीमारी महामारी की तरह पसर रही, गत वर्ष मिले थे 1600, इस वर्ष अब तक 1000 मरीज मिले, 59 की हो चुकी है मौत
जांच राज्य स्वास्थ

बड़ी खबर,,,सरगुजा में क्षय बीमारी महामारी की तरह पसर रही, गत वर्ष मिले थे 1600, इस वर्ष अब तक 1000 मरीज मिले, 59 की हो चुकी है मौत

अम्बिकापुर।क्षय बीमारी के मरीज की संख्या को देखते हुये जिला क्षय उन्मुलन केन्द्र सरगुजा के द्वारा लगातार घर घर खोजी अभियान संचालित किया जा रहा है। जिला क्षय अधिकारी डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता के अनुसार विगत वर्ष 1600 से ज्यादा मरीज को चिन्हांकित कर इलाज प्रारंभ किया गया था जबकि वर्ष 2023 में 1000 मरीज क्षय रोग के मिल चुके है जिसमें 59 मरीज की मृत्यु क्षय रोग से हो चुकी है।

क्षय रोग की बीमारी अदृष्य कण जिसे मायको बैक्टीरिया ट्युवर कुलोसिस जीवाणु से होती है। ये क्षय रोग के मरीज के खांसने से वातावरण में फैल जाते है और इसमें सांस लेने से क्षय बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। वर्तमान स्थिति में 1 लाख की जनसंख्या में 196 मरीज में क्षय रोग कीटाणु रहने की संभावना रहती है जिसमें 3-6 प्रतिशत मरीज की मृत्यु होती है। |

क्षय रोग का उन्मुलन क्यों आवश्यक है

क्षय रोग बीमारी शरीर को दुर्बल कर देता है। फेफडों का गला देता है, कमर की हड्डी को कमजोर कर मवाद बना देती है जिससे पैर में लकवा की शिकायत हो जाती है। पेट में लगातार दर्द का बना रहना, गले में गठान का पाया जाना आँख में लालिमा का बना रहना व झटके या मिर्गी की परेशानी क्षय रोग के संक्रमण से हो सकती है। क्षय रोग की बीमारी से व्यक्ति कमजोर होता है व जानलेवा साबित होता है।

क्षय रोग का उपचार

– क्षय रोग के उपचार के जिले कई दवाईयां प्रतिदिन दी जाती है ये सभी दवाईयां मुख से खाने वाली होती है। किस मरीज को क्या दवाई दी जायेगी ये मरीज के बलगम जाँच से निर्धारित होती है।

उपचार की अवधि

– उपचार 06 महिने से लेकर 21 महिने तक की हो सकती है। उपचार के दौरान मरीज प्रोटीन युक्त पोषण आहार का सेवन करने की सलाह दी जी है।

क्षय रोग होने की संभावना किन्हे ज्यादा रहती है

– क्षय रोग होने सबसे ज्यादा संभावना अर्थात उच्च जोखिम मरीज के अन्तर्गत एच. आई. व्ही. संक्रमित मरीज आर्गेन ट्रान्सप्लान्ट व कैंसर के मरीज, शुगर बीमारी से पिडित, तम्बाखु व धुम्रपान करने वाले मरीज में रहता है।

क्षय रोग के लक्षण

– खांसी में बलगम का आना, शरीर दुर्बल होना, बच्चों में शारीरिक विकास का ना होना, गले व पेट में गठान का पाया जाना, नपुसंकता या इलाज के बाद भी लम्बे समय तक बीमार रहना होता है।

क्षय रोग के लिये जाँच

– क्षय रोग की पुष्ठि के लिये एकमात्र जाँच बलगम या खखार जाँच होती है। इस जाँच में क्षय रोग के कीटाणु के सुक्ष्म कण को भी टुनाट / सीबीनाट माध्यम से जाँचा जाता है। शासकीय संस्थानो में ये जाँच पुर्णतः निशुल्क है विशेष स्थिति में क्षय रोग की पहचान एक्स रे, सोनाग्राफी, सिटी स्केन व लक्षण के अधार पर किया जाता है।

 

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