अंबिकापुर। बेहतर भविष्य के लिए बचपन से ही अच्छी शिक्षा और संस्कार मिल सकें यह सपना हर मां-बाप अपने बच्चों के लिए देखते है। वे यह सपना सच करने जीवन भर की कमाई स्कूलों पर खर्च कर देते हैं। शायद यह सोचकर कि बच्चा स्कूल से निकलकर देश समाज और परिवार का जिम्मेदार नागरिक बनेगा। लेकिन विडंबना है कि आज शिक्षा प्रदान करना एक व्यवसाय बन गया है। इस दौर में स्कूल अभिभावकों से मनमानी फीस के रूप में मोटी रकम तो वसूल कर लेते हैं। लेकिन बदले में वह बच्चों को उस स्तर की अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते और ना ही उनमें कोई संस्कार जगा पाते है।इसके कारण कई है। लेकिन सबसे मुख्य कारण है शिक्षा का व्यवसायीकरण। लेकिन अब सरगुजा में बेहतर शिक्षा और बच्चों के सर्वांगीण विकास का संकल्प लिए एक नया शिक्षण संस्थान प्रारंभ हो रहा है जिसके खुल जाने के बाद शायद इस पिछड़े आदिवासी अंचल में अभिभावकों का बेहतर शिक्षा का वह सपना पूरा हो सके जो वह अपने बच्चों के लिए देख रहे हैं।
दरअसल हम बात कर रहे हैं अंबिकापुर रायगढ़ मुख्य मार्ग पर लगभग 5 किलोमीटर दूर चारों ओर पहाड़ों से घिरे खूबसूरत स्कूल वसुंधरा ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल की। यह स्कूल शहर के कोलाहल और प्रदूषण से दूर चारों ओर से पहाड़ों और पेड़ पौधों से आच्छादित सुरम्य वातावरण में स्थित है। स्कूल संचालकों द्वारा स्कूल जानबूझकर ऐसे प्राकृतिक वातावरण में बनाया गया है। इस स्कूल के आसपास के प्राकृतिक दृश्य और यहां की आबो हवा बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए तो फायदेमंद है ही, यहां का स्वच्छ वातावरण देखकर अभिभावकों का भी मन प्रसन्न हो जाता है। लगभग 8 एकड़ में फैले स्कूल का प्रदूषण मुक्त परिवेश बच्चों के स्वास्थ्य के बेहद अनुकूल बनाया गया है।इतना ही नहीं स्कूल की इमारत भी इस ढंग से डिजाइन की गई है कि प्रत्येक कक्षा में भरपूर प्राकृतिक रोशनी हवा और स्वस्थ वातावरण मिल सके। स्कूल में बच्चों के लिए दो मंजिला लाइब्रेरी,स्विमिंग पूल, के साथ-साथ क्रिकेट फुटबॉल एडवेंचर स्पोर्ट्स इत् यादि के लिए अलग-अलग मैदान भी उपलब्ध कराया गया है। प्रत्येक कक्षा में इलेक्ट्रॉनिक ब्लैकबोर्ड लगाए गए हैं स्कूल में बच्चों को जो भी पढ़ाया जाएगा वह इस इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड में से रहेगा और सीधे अभिभावकों को मोबाइल पर मिलेगा।
लुप्त होती कलाओं की दी जाएगी जानकारी-
स्कूल प्रबंधन के प्रमुख कृष्णानंद सिंह बताते हैं स्कूल में बच्चों को न केवल प्रारंपरिक शिक्षा दी जाएगी बल्कि उन्हें हमारे समाज में प्राचीन काल से चली आ रही कलाओं जैसे मिट्टी के बर्तन बनाने की कला, लोहे के सामान बनाना, लकड़ी के सामान बनाना इत्यादि ज्ञान भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि बच्चे पारंपरिक कला कौशल और ज्ञान से भी परिचित हो सके।
ऑर्गेनिक खेती के बताए जाएंगे फायदे-
स्कूल प्रबंधक बताते हैं कि स्कूल में एक अलग से स्थान निर्धारित कर वहां ऑर्गेनिक खेती की जाएगी। दरअसल होता यह है कि अभी बच्चे खेती किसानी के ज्ञान से पूरी तरह से अनजान है। धान गेहूं के साथ सब्जी इत्यादि के फसलों के बारे में पूरी तरह से अनजान है स्कूल में ही उन्हें प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती के बारे में सहज ज्ञान उपलब्ध कराया जाएगा।
एडवेंचर स्पोर्ट्स की भी होगी व्यवस्था
स्कूल में बच्चों में साहस और एडवेंचर की प्रवृत्ति जगाने के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स की भी व्यवस्था की जाएगी ताकि बच्चों में साहसिक प्रवृत्ति बनी रहे।