4 October 2024
पिता का साया सिर से उठने के बाद मां ने खेती-बड़ी कर पाला.. रोबोट टेक्नोलॉजी की जानकारी हासिल करने कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की छात्रा सावित्री भरेगी जापान की उड़ान
ख़बर जरा हटके देश बड़ी खबर राज्य शिक्षा

पिता का साया सिर से उठने के बाद मां ने खेती-बड़ी कर पाला.. रोबोट टेक्नोलॉजी की जानकारी हासिल करने कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की छात्रा सावित्री भरेगी जापान की उड़ान

अम्बिकापुर।कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय रजपुरी कला लखनपुर जिला सरगुजा की छात्रा कुमारी सावित्री सिंह का चयन सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जापान जाने के लिए हुआ है । राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के तीन बच्चों का चयन जापान सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए किया गया है जिसमें सावित्री 16 जून से 22 जून तक भारत की ओर से जापान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले आदान-प्रदान हेतु महत्वपूर्ण योगदान देंगी। कुमारी सावित्री सिंह के पिता स्वर्गीय देवेश्वर सिंह का निधन बचपन में ही हो गया था ।माता खेती -बाड़ी का काम कर अपने तीन बच्चियों का पालन पोषण करती हैं‌। सावित्री कक्षा छठवीं से ही कस्तूरबा में अध्यनरत है ,और मेधावी छात्रा रही है। वर्तमान में कक्षा 12वीं में विज्ञान विषय के साथ गणित विषय भी लेकर पढ़ाई कर रही है। सावित्री पहले भी न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि खेलों में भी छात्रावास का नाम रोशन कर चुकी है। इसने कई राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में मेडल अपने नाम किया है ।इस वर्ष भी इस छात्रा ने क्राॅसबो शूटिंग राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर छात्रावास को गौरवान्वित किया ।वर्तमान में सावित्री अंग्रेजी व जापानी दोनों भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर रही हैं। जिससे उन्हें वहां कोई भाषा संबंधी परेशानी ना हो। ग्रामीण अंचल की इस छात्रा की उपलब्धि से न सिर्फ जिले में बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है ।

सावित्री ने समाचार पत्र से बात करते हुए कहा है, की पहली बार हवाई यात्रा को लेकर वह काफी उत्साहित हैं परंतु अंदर से डर भी लग रहा है ।पहली बार वह इतनी दूर जा रही है जिसमें उनके साथ उनकी अपने टीचर या माता नहीं होगी ।सावित्री ने बताया कि पिता ना होने के कारण जीवन में कई समस्याएं थी,परंतु छात्रावास में आई अधीक्षिका श्रीमती अनुराधा सिंह द्वारा एक अभिभावक के तौर पर हमेशा मेरी सारी जरूरतो का ख्याल रखते हुए मुझे यहां तक पहुंचने में बड़ा योगदान दिया है। ‌सावित्री अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता , शिक्षको के साथ विशेष तौर पर अपनी अधीक्षिका श्रीमती अनुराधा सिंह को देती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *