27 July 2024
देश भर के लगभग 100 कलाकारों की कलाकृतियों को लाल किले में किया जाएगा प्रदर्शित… पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन… नगर के चित्रकार गोविन्द विश्वास के काम भी इस प्रदर्शनी में होंगे शामिल
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देश भर के लगभग 100 कलाकारों की कलाकृतियों को लाल किले में किया जाएगा प्रदर्शित… पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन… नगर के चित्रकार गोविन्द विश्वास के काम भी इस प्रदर्शनी में होंगे शामिल

अम्बिकापुर।लाल किले में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारतीय समकालीन कला, आर्किटेक्ट, व डिजाइन बिनाले का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करने जा रहे है। 8 से 15 दिसम्बर तक देश भर के लगभग 100 कलाकारों के कलाकृतियों को लाल किले में प्रदर्शित किया जाना है।शहर के चित्रकार गोविन्द विश्वास के काम भी इस प्रदर्शनी में शामिल है।

खास बातचीत में गोविन्द ने बताया कि उनके दो काम जो मिक्स मीडिया में है।ये वो माध्यम है जो दक्षिण भारत मे रब्बर की खेती आज विलुप्त होती जा रही है। उस माध्यम को वो समकालीन तरीके से चित्रों के जरिये बचाये रखने की कोशिश कर रहा है। उनके चित्रों के शीर्षक है।

मेरा भारत महान-

हम किसी भी कलाकृति को शीर्षक क्यो देते है? हमारे अखण्ड भारत की महान गाथा को कौन नही जनता परन्तु हमे जो इतिहास पढ़ाया गया है वो बिल्कुल भिन्न है। भारत की संस्कृति भारतीय सभ्यताओं के लोहा पूरे विश्व ने माना है और वो हमेशा मानते रहेंगे।
स्वदेशी अपनाओ का जो नारा हम सभी को पता है। परन्तु क्या हमने वो अपनाया है?ये प्रश्न मैं सभी से पूछना चाहता हूँ।
कला कृति में दर्शाए हुए प्रत्येक वस्तुओं का अपने आप मे एक महत्व है। उसकी एक जीवन गाथा है । हमे उसकी महत्वता को समझते हुए। हर एक लाइन व सतह को महसूस करना चाहिए। हमे समझने की कोशिश करनी चाहिए। हमे समय की महत्वता को समझना उतना ही अवश्य है जितना कि हम अपने आप को देते है। इन्ही विचारों के के साथ मेने मेरा भारत महान कलाकृति को एक रूप देने का प्रयत्न किया है।
माध्यम के तौर पर इसमें रबर ओर नेट का उपयोग किया है। जो कि दक्षिण भारत मे रबरो की खेती आज भी की जाती है।परन्तु उसका उपयोग इस माध्यम में अब मिलना मुश्किल है। मैने उस परंपरा को जारी रखते हुए। अपने स्तर पर समकालीन कला के क्षेत्र में एक प्रयोगवादी विचारों के साथ उस काम को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा हूँ।

आई एम ऑन माय वे-

इस कलाकृति में अपने जीवन के अनुभवों को मैने अपने कार्य के माध्यम से साझा करने का प्रयास किया है।जब हम अपने स्वयं के विचारों को सभी के समक्ष रखने का प्रयत्न करते है। शुरू में बहुत सारी बातों को नकार दिया जाता है। ये मूलतः हम सभी जानते है और अपने अपने स्तर पर महसूस भी करते है। उम्र के हर पड़ाव पर हमें अपने विचारों के साथ अडिग होकर खड़े रहना चाहिए तभी आप इस समाज मे एक अपनी जगह बना सकते है।
जीवन के उत्तर चढ़ाव आपके कार्यकुशलता को समय समय पर परीक्षा के माध्यम से अपने आपको परखने का मौका मिलता है, और अपने आप को एक दूसरे एक समक्ष रखते है। जिसे मेने अपने अनुभवों को इन दृश्यों में चित्र के मध्याम से व्यक्त करने की कोशिश की है।
इस चित्र में एक हृदय, एक हाथी लाल व काले बिंदु अपने आचरण को अच्छे व बुरे दोनों को समान स्तर पर कैसे एक दूसरे के विपरीत भाव से अपने सामने आते है। जिसे महसूस करना व उसमें सुधार करना ये हम सभी को यह सीख दिया जाता है। इन विचारों के आसपास मेरे चित्रों को रखने का प्रयास मैं हमेशा से करता आया हूँ। ताकि ये चित्र मेरे आत्ममंथन का जरिया बने। और उसे महसुस कर सके। यह मेरी कोशिश रहती है।
माध्यम में मैने रबर ओर नेट के जरिए एक पारदर्शिता को रखने का प्रयास में सदैव करता हूँ। क्योकि माध्यम का भी महत्व कला व कलाकार के जीवन की प्रभावित तो करता ही है।

 

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