घाटों में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, छठ गीतों से गुंजायमान रहा शहर
अंबिकापुर। सूर्य उपासना का महापर्व छठ जिले में आस्था के साथ मनाया गया। अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर व्रती महिलाओं ने परिवार की सुख-समृद्धि की मंगल कामना की। इसके साथ ही शहर के अन्य तालाबों में लोगों का सैलाब उमड़ा पड़ा। सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठव्रतियां पारण करेंगी।
शहर के साथ जिले में आस्था के साथ छठ का महापर्व मनाया जा रहा है। पूरे शहर का वातावरण छठमय हो गया है। रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु अर्घ्य
देने के लिए दोपहर 1 बजे के बाद घाट पर पहुंचने लगे। छठव्रतियों ने घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के सुख- समृद्धि की कामना की।
अंबिकापुर में भी छठ करने वालों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। छठ व्रतियों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए लगभग हर मोहल्लों में छठ घाट बनाए गए हैं। शहर के प्रमुख शंकर घाट स्थित छठ घाट में प्रतिवर्ष काफी संख्या में श्रद्धालु छठ करने पहुंचते हैं। यहां मां महामाया छठ पूजा सेवा समिति द्वारा पूरी तैयारी की गई थी।
समिति द्वारा व्रतियों की सुविधा को देखते हुए टेंट पंडाल सहित अन्य सुविधाएं प्रदान की गई थी। मां महामाया छठ सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सोनी ने बताया कि छठ पूजा के दौरान सभी लोगों को व्यापक व्यवस्था दी गई थी। सभी लोगों ने बड़े ही आस्थापूर्ण तरीके से इस व्रत को पूरा किया। शंकर घाट में आस्था का एक अलग ही रूप देखने को मिला। छठी मैया के गाने के साथ-साथ भारी संख्या में उमड़े श्रद्धालु के बीच भक्ति की बयार देखने को मिली।इसी तरह शहर से लगे घुनघुट्टा नदी तट पर श्याम घुनघुट्टा छठ सेवा समिति द्वारा व्यापक तैयारी की गई थी।
यहां शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। व्रतियों को यहां स्नान करने के लिए शुद्ध जल व पर्याप्त जगह काफी पसंद आई। इसी तरह शहर के शंकरघाट के अलावा मौलवी बांध, मैरीन ड्राइव तालाब, सतीपारा तालाब, जेल तालाब, खैरबार नहरपारा, गोधनपुर तालाब, खर्रा स्थित घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के सुख-समृद्धि की मंगल कामना,,,, अंबिकापुर के शंकर घाट में दिखा जबरदस्त उत्साह,,, आस्थामय माहौल में धूमधाम से बना छठ पर्व
नंगे पैर, सिर पर दउरा और छठी मैया के गूंजते रहे गीतअर्घ्य के लिए दोपहर करीब तीन बजे से ही सडक़ों एवं गलियों में व्रतियों की भीड़ दिखने लगी। महिलाएं छठी मइया का गीत गाते व पुरुष सिर में सूपा व दउरा रख नंगे पैर घाट की ओर रवाना हुए। जैसे-जैसे शाम होती गई, व्रतियों की भीड़ बढ़ती गई। व्रतियों की सुविधा के लिए सडक़ों से लेकर घाटों तक विशेष व्यवस्था की गई थी। व्रतियों को परेशानियों से बचाने के लिए सडक़ों की साफ-सफाई हुई थी। छठ घाटों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने डूबते भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य
दिया।
दंडवत देते हुए पहुंचे छठ घाट
छठ व्रत अटूट आस्था का पर्व है। मान्यता है कि छठ व्रत करने पर उनकी सारी मन्नतें पूर्ण होतीं हंै। ऐसे में कई श्रद्धालु अपने घर से ही दंडवत देते हुए छठ घाटों तक पहुंचे।
आज सुबह उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य
सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व 36 घंटे के कठिन उपवास का भी समापन होगा। शाम को अर्घ्य
देने के बाद कई छठ व्रती पूरी रात घाट पर ही रुके। जबकि और लोग अपने-अपने घर वापस चले गए थे।
सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था
छठ घाटों पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस मुस्तैद रही। सबसे ज्यादा भीड़ शंकरघाट में देखने को मिली। यहां पुलिस द्वारा काली मंदिर के पास मोटरसाइकिल की पार्किंग एवं संजय पार्क बैरियर से तकिया मोड़ तक चार पहिया वाहनों को रोक दिया गया था।