Sarguja express…..
अंबिकापुर। अल्पसंख्यक कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश महासचिव परवेज़ आलम गांधी ने कहा कि भारत का एक दौर था जब सिद्धांत और नैतिकता हर जीत-खिताब से ऊपर मानी जाती थी। 1974 के डेविस कप फाइनल में रंगभेद विरोधी रुख के कारण भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ फाइनल त्याग दिया, जीत खो दी लेकिन आदर्श नहीं छोड़े। श्रीलंका में तमिलों पर अत्याचार और अनुराधापुरा नरसंहार के बाद भी भारत ने क्रिकेट का बहिष्कार कर अन्याय का विरोध किया।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ भी 1965, 1971, कारगिल युद्ध और 26/11 मुंबई हमले के बाद खेल संबंध रोककर शहीदों की कुर्बानी का सम्मान किया गया। आज जबकि पहलगाम में निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं और ऑपरेशन सिंदूर में हमारे जवान शहीद हो रहे हैं, फिर भी पाकिस्तान से खेलने की तैयारियाँ शहीदों की शहादत के प्रति असंवेदनशीलता दिखाती हैं।
भारत की ताक़त हमेशा त्याग और आदर्शों में रही है।उन्होंने कहा है कि सत्ता और खेल की गद्दी, शहीदों के खून और माताओं के आँसुओं से अधिक मूल्यवान नहीं हो सकती। खेल को केवल व्यवसाय न बनने दें; राष्ट्रहित और शहीदों के सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए पाकिस्तान से खेल संबंधों पर पुनर्विचार होना चाहिए।