Sarguja express…
अंबिकापुर. सरगुजा जिले के लखनपुर में एसईसीएल द्वारा अमेरा कोल खदान के लिए अधिग्रहण पूरा होने के पहले ही खड़ी फसल पर मशीनें चलाए जाने के बाद एक पखवाड़े से ग्रामीण खेतों में डेरा डाले हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि वे किसी भी शर्त पर अपनी जमीन नहीं देंगे। जमीनों का अधिग्रहण वर्ष 2001 में किया गया था। जिनकी जमीनें अधिगृहीत की गई हैं, उन्हें न नौकरी मिला है और न मुआवजा। ग्रामीणों के विरोध के कारण तनाव की स्थिति बनी हुई है।
अमेरा खदान विस्तार को लेकर ग्रामीणों का विरोध अब एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि जैसे देश की खातिर अंग्रेजों से झांसी की रानी लड़ी थी वैसे ही अपनी जमीन बचाने के लिए हमें लड़ाई लड़ना होगा और इस जमीन को बचाने के लिए हम जान दे भी सकते हैं और जान ले भी सकते हैं।
सरगुजा जिले में अमेरा ओपन कास्ट माइन्स में कोयला उत्खनन समाप्त हो गया है। खदान का विस्तार प्रस्तावित है, जिसके लिए परसोढ़ी कला की जमीनें वर्ष 2001 में अधिगृहीत की गई थीं। अब तक मात्र 19 प्रतिशत किसानों ने ही जमीन का मुआवजा लिया है। एसईसीएल प्रबंधन ने 15 दिन पूर्व पुलिस बल की तैनाती करा किसानों की खड़ी धान की फसल में बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया, जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया। विरोध के बाद एसईसीएल को काम रोकना पड़ा।
एसईसीएल द्वारा खड़ी फसल पर मशीनें चलाने के बाद ग्रामीण 15 दिनों से तंबू लगाकर खेतों की रखवाली कर रहे हैं। ग्रामीण अमेरा खदान के विरोध में धरना दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे जान दे देंगे, लेकिन जमीनें एसईसीएल को नहीं देंगे। एसईसीएल द्वारा जमीनें लूटने की कोशिश की जा रही है, जिसका विरोध किया जा रहा है.ग्रामीणों द्वारा पूर्व में भी एसईसीएल का विरोध किया गया था। परसोढ़ी कला में पूर्व में सर्वे टीम पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद तनाव की स्थिति बन गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2001 में जमीनों का अधिग्रहण किया गया था, उस समय मुआवजे की दर काफी कम थी। वर्ष 2001 में जिन लोगों का नाम नौकरी के लिए तय किया गया था, वे अब नौकरी करने तैयार नहीं हैं।
ग्रामीण नहीं ले रहे मुआवजा-एसईसीएल
एसईसीएल के वरिष्ठ अधिकारी केके भोई ने कहा किए जमीन अधिग्रहण 2001 में ही हो चुका है। खेती नहीं करने का नोटिस पहले ही किसानों को दिया गया था। अब तक 19: किसानों ने मुआवजा ले लिया है, बाकी लेने को तैयार नहीं हैं। मुआवजा ट्रिब्यूनल में जमा करने की अनुमति मिल चुकी है, इसलिए जमीन न देने का प्रश्न नहीं बनता। नौकरी के प्रकरणों का भी निराकरण किया जा रहा है।

