व्यंग्यम् संस्था का मातृ दिवस पर काव्य सम्मेलन
अम्बिकापुर।संस्था व्यंग्यम् के तत्वावधान में साँई रेसीडेंसी अंबिकापुर में मातृ दिवस के अवसर पर काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में सुरेश शर्मा, मुख्य अतिथि सागर मध्यप्रदेश से आए कवि संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, विशिष्ट अतिथि के रूप में वंदना दत्ता, दिवाकर शर्मा, राजेश गुप्ता, संकल्प श्रीवास्तव रहे । कार्यक्रम के शुरूआत में सरस्वती माता के छायाचित्र पर माल्यार्पण किया गया साथ ही सरस्वती वंदना पूनम दुबे और राजगीत को प्रस्तुति सुप्रिया वर्मा हंसा ने किया साथ ही संस्था के पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्वागत बैज लगाकर किया गया । तत्पश्चात संस्थापक, संरक्षक डाॅ सपन सिन्हा ने संस्था का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि यह संस्था सन् 1996 से संचालित है । अब पुनः इसे सार्थक दिशा के रूप में आगे बढ़ायेंगे।
सागर मध्यप्रदेश से पधारे कवि संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी के पुत्र संकल्प श्रीवास्तव के द्वारा उनका परिचय दिया गया । काव्य सम्मेलन की शुरूआत में पूनम दुबे ,वीणा ने रचना सुनाई-मां की यादें जो आई कभी,अश्रु जल से नयन भर गये,देती रहती थी सीखें हमें,उसकी बातें वचन बन गये..। वरिष्ठ कवि राजेश पाण्डेय अब्र की कविता
हुई आंख नम तुम्हारी याद में । बह रहे शबनम तुम्हारी याद में ।। कवयित्री डाॅ वर्षा शर्मा ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की – माँ आपकी बिटिया इस दुनिया में आई हूँ ।
कवि विनोद हर्ष ने रचना सुनाई..अर्पित कर दूँ यह चौपाई तेरे पांव में,सारी जन्नत है माई तेरे पांव में ।
कवि रामलाल विश्वकर्मा की कविता बूंद बूंद जल संचित कर,मैं अविरल जल की धारा हूँ ..।
गुलज़ार सिंह यादव ने घनाक्षरी प्रस्तुत की ,बोझ घर का वहन, वही करते सहन.सोच सोचते गहन, सो भी नहीं पाते हैं..अम्बरीष कश्यप ‘अंबुज’ ने अपनी कविता पढ़ी,
आसमानों में उड़ना नहीं चाहते,हम रईसी से जुड़ना नहीं चाहते ,बंद हो चाहे मेरी ये मंज़िल की राह,आगे जा कर के मुड़ना नहीं चाहते..। कवि संतोष दास सरल जी की रचना..ममता त्याग तपस्या का बस एक नाम है माॅ।
स्वर्ग मेरा तेरे चरणों में तुमको मेरा प्रणाम है माॅ।।
छांव तपिश में,धूप शिशिर में, पतझड़ में बसंत है माॅ,
बच्चों की हित सब सहती है, सचमुच में भगवंत है माॅ।।
वरिष्ठ रचनाकार दिवाकर शर्मा ने चौपाई प्रस्तुत की –
जन्म से माता पिता बिछुड़े ,परछाईं भी छूत बनी तन की।
जिस द्वार गये दुत्कारे गये, अपमान मिला न मिली कनकी।। शिव सा विष पी बरसाया सुधा, लघुता महिमा में ग ई ढल सी। भव रोग की औषधि मानस दे, युग का वरदान बने तुलसी।। संस्था के संरक्षक डाॅ सपन सिन्हा की रचना की बानगी में कहा प्रीत दिल में जगा कर तो देखो जरा। रूठों भी मना कर तो देखो जरा। झूमने सब लगेंगे तेरे सामने , प्रीत प्याला पिला कर तो देखो जरा। संस्था अध्यक्ष अनिता मंदिलवार सपना ने रचना प्रस्तुत की-माँ कृतज्ञ यह बेटी तेरी,तुझसे पायी जीवन यह, तुझ पर न्यौछावर तन मन धन,करती सदा मै तुझे नमन ….। मुख्य अतिथि के आसंदी पर उपस्थित संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी ने कहा कि साहित्यकार एवं बुद्धिजीवी वर्ग के कारण ही संवेदनाएँ जीवित है ।
साथ ही एक रचना प्रस्तुत किया-फिर तेरी याद आई,
फिर पीर छटपटाई,इक हूक फिर हृदय से,दृग-नीर ले के आई।। कोषाध्यक्ष राजलक्ष्मी पांडेय ने एक गीत प्रस्तुत किया- तुमसे है मेरा जीवन,जीवनदायिनी हो माँ।
मेरा हौसला हो तुम, मधुर मुस्कान हो माँ।।
कार्यक्रम का सफल संचालन राजलक्ष्मी पांडेय और अनिता मंदिलवार सपना ने किया ।
कार्यक्रम के अंत में संरक्षक डाॅ सपन सिन्हा संस्था के आगामी उद्देश्यों पर चर्चा किया ।
कार्यक्रम , कार्यक्रम प्रभारी गिरीश गुप्ता और ,
के मार्गदर्शन में, डाॅ सपन सिन्हा के संयोजन में सफलता से संपन्न हुआ। कवि सम्मेलन में
अनंग पाल दीक्षित, स्नेहलता सिन्हा,नितिन सिन्हा,
जे पी पटेल, डॉ प्रणव ठाकुरसंगीता सिन्हा ,संकल्प श्रीवास्तव, नीता श्रीवास्तव,निर्मला श्रीवास्तव, अंजली शर्मा, सुनीता गुप्ता, गोल्डी रवानी, रमा नामदेव, किरण शुक्ला, मंजू गुप्ता, अरुणा राय और कालोनी के लोग उपस्थित रहे ।