12 March 2025
5 साल के अंदर सरगुजा में क्षय के 205 मरीजो की उपचार के दौरान हुई मौत …. समय पर जागरूक नहीं हुई तो हो सकता है खतरनाक
राज्य स्वास्थ

5 साल के अंदर सरगुजा में क्षय के 205 मरीजो की उपचार के दौरान हुई मौत …. समय पर जागरूक नहीं हुई तो हो सकता है खतरनाक

Sarguja express

सरगुजा में टीबी होने का प्रमुख कारण कुपोषण व जनजागरूकता में कमी

अम्बिकापुर । राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम जिला-सरगुजा द्वारा क्षय रोग से प्रभावित मरीजों में मौत की समीक्षा की गयी। कुछ केस में टीबी संक्रमण की पहचान के बाद मरीज की मृत्यु कम समय में होना पाया गया, जिनकी आयु 20 वर्ष से 30 वर्ष के बीच थी। ऐसी एक मरीज गाँधीनगर की थी, जिसमे मृतका को 10 दिन से खाँसी, बुखार व कमजोरी की शिकायत थी। एक्स-रे व सीटी स्केन की रिपोर्ट में टीबी बिमारी के लक्षण पाये गये। जिसके आधार पर टीबी का इलाज प्रारंभ किया गया, शुरू के 10 दिन मरीज को इलाज से आराम मिला। परन्तु उसके बाद मरीज के शरीर में दर्द की शिकायत बढ़ गयी। स्थानीय स्तर से चिकित्सकों ने टीबी की दवाई बन्द करने की सलाह दी, जिसके फलस्वरूप मरीज दवाई बन्द कर दिया। लेकिन मरीज की खाँसी में खुन आने व सॉस लेने में दिक्कत की परेशानी से प्राईवेट हास्पिटल में भर्ती किया गया। यहां भी मरीज की हालत में सुधार न होने पर रायपुर एम्स के लिये भेजा गया परन्तु मरीज की रास्ते में ही मृत्यु हो गयी। अन्य 2 प्रकरण में नमनाकला व सूरजपुर का मिला जिसमे कम समय में क्षय रोग की बिमारी मस्तिष्क और मेरूदण्ड में पहुंच गयी। और मरीज को उच्च चिकित्सकीय देखरेख के बावजूद भी बचाया नहीं जा सका।

सरगुजा में टीबी होने का प्रमुख कारण कुपोषण व जनजागरूकता में कमी है। प्रधानमंत्री निक्षय पोषण आहार योजना के तहत् स्वेच्छिक दानदाताओ की संख्या काफी कम है। वर्तमान में प्रत्येक क्षय रोगी को निक्षय पोषण आहार योजना के तहत् डीबीटी के माध्यम से 06 माह में 6750 रूपये प्रदाय किया जा रहा है।

टीबी का संक्रमण हवा से फैलने वाली बिमारी है. एक टीबी मरीज से 01 साल में 10-12 मरीज संक्रमित होते है। फेफड़े की टीबी शरीर के अन्य भाग की टीबी की तुलना में ज्यादा खतरनाक होता है। यदि परिवार में किसी को फेफड़े की टीबी है तो परिवार के सभी सदस्यों को टीबी के बचाव के लिये टीबी प्रिवेन्टीव मेडिसीन लेने की आवश्यकता होती है। टीबी के उपचार में ज्यादातर एक्स-रे के आधार पर टीबी की दवाई शुरू की जाती है जबकि सभी मरीजों में दवाई की रोग प्रतिरोधक क्षमता की जाँच के पश्चात ही सही दवा शुरू करना चाहिये, दवा प्रतिरोधक क्षय रोगी मे मृत्यु दर प्रति 100 मरीज में 20 मरीज अर्थात 5 मरीज मे 01 की मृत्यु संभावित होती है। 2019 से 2024 तक सरगुजा ने क्षय के 6660 मरीजो को उपचार किया गया, जिसमे 205 मरीजो की उपचार के दौरान मृत्यु हुयी है।

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