Sarguja express…..
अंबिकापुर। स्वास्थ्य विभाग के सचिव द्वारा शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में संलग्नीकरण समाप्त कर अधिकारी, कर्मचारी को उनके मूल पद स्थापना स्थल हेतु कार्य मुक्त किए जाने हेतु निर्देशित किया गया था, परंतु अभी भी अनेक संस्थाओं में अधिकारी कर्मचारी संलग्न होकर कार्यरत हैं। कई शिकायतों के बाद भी स्थिति में कोई परिवर्तन होता नजर नहीं आ रहा है। स्वास्थ्य सचिव द्वारा संलग्नीकरण समाप्त नहीं करने की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी जिम्मेदारों को दी गई, परंतु इस चेतावनी का भी कोई असर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में होता दिख नहीं रहा है।
बता दें कि अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चर्म रोग विभाग में एक ऐसे चिकित्सक कार्यरत हैं जो सेवा तो यहां दे रहे हैं परंतु उनका वेतन दुर्ग जिला अस्पताल से मिलता है ।
गौरतलब है कि 31 दिसंबर वर्ष 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी पत्र में चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय सरगुजा डॉक्टर प्रकाश कुमार सिंह को चर्म रोग विशेषज्ञ के पद पर पदोन्नत कर जिला चिकित्सालय दुर्ग में पदस्थ किया गया था। 4 जनवरी वर्ष 2021 के पत्र आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए डॉक्टर प्रकाश कुमार सिंह को जिला चिकित्सालय दुर्ग से अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय सरगुजा अंबिकापुर में कार्य करने आदेशित किया गया।
अप्रैल वर्ष 2023 में संचनालय स्वास्थ्य सेवाएं के द्वारा सभी जिले के संभागीय संयुक्त संचालक एवं सीएचएमओ को निर्देशित कर तत्काल प्रभाव से संलग्नीकरण समाप्त किए जाने निर्देश दिए गए थे। निर्देश में 25 अप्रैल वर्ष 2023 तक सभी को अपने मूल पद स्थापना स्थान पर उपस्थिति सुनिश्चित कर आदेश की प्रति संचनालय में उपलब्ध कराना था। ऐसा नहीं करने पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी। बावजूद इसके आज भी दुर्ग जिला अस्पताल से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संलग्न डॉक्टर पी के सिंन्हा यहीं पर सेवा दे रहे हैं। यह बात अलग है कि उनका वेतन दुर्ग जिला अस्पताल से बन रहा है। ऐसे में जिम्मेदारों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। संलग्नीकरण को लेकर जहां लगातार कहीं निर्देश स्वास्थ्य मंत्री सहित विभाग के आला अधिकारी दे रहे हैं। ऐसे में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग में सेवा दे रहे डॉक्टर पी के सिंन्हा संलग्नीकरण का एक बड़ा उदाहरण लेकर कार्य कर रहे हैं।
डॉक्टर शमसुद्दोहा के पहल पर शुरू हुई थी ओपीडी
अंबिकापुर में डॉक्टर शमसुद्दोहा की पहल पर वर्ष 2013 में राज्य की पहली चर्म रोग ओपीडी शुरू की गई थी। उसे वक्त सरगुजा में कुष्ठ रोग सहित कई चर्म रोगी सामने आ रहे थे। बढ़ती रोगियों की संख्या के मद्देनजर शुरू की गई चर्म रोग ओपीडी की राज्य के पहले चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पी के सिंन्हा ने उस वक्त से जिम्मेदारी संभाली।
ओपीडी खुली… पर पद आज भी स्वीकृत नहीं
सबसे बड़ी बात यह है कि अंबिकापुर में चर्म रोग विभाग की ओपीडी जरूर खुली पर पद आज भी पद स्वीकृत नहीं हो सका है। कई महानगरों में चर्म रोग विशेषज्ञ का पद है, परंतु सरगुजा जैसे आदिवासी अंचल जहां कुष्ठ रोग सहित कई चर्म रोगियों की संख्या आज भी बढी हुई देखने को मिलती है। ऐसे में आज भी यहां चर्म रोग विशेषज्ञ के पद की स्वीकृति नहीं हो सकी है। छत्तीसगढ़ में सिर्फ दुर्ग और रायपुर में यह पद स्वीकृत है। अंबिकापुर में बिना पद के ही चर्म रोग विभाग के अंदर चिकित्सक कम कर रहे हैं।