Sarguja express…..
अंबिकापुर।सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर की खस्ताहाल सड़कों को लेकर “सड़क सत्याग्रह” की पहल पर नगर के मनेंद्रगढ़ रोड स्थित होटल माखन बिहार में सर्वदलीय मंच की बैठक हुई। बैठक में भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के जनप्रतिनिधि, महापौर, सभापति, नेता प्रतिपक्ष, व्यापारी, चिकित्सक,पत्रकार, रंगमंच व सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए।सड़क सत्याग्रह के संयोजक डाक्टर योगेंद्र सिंह गहरवार ने सभी से सुझाव मांगे और सभी ने अपने-अपने विचार रखे।
नगर निगम की ओर से महापौर मंजूषा भगत ने बताया कि कौन-कौन सी सड़क किस विभाग की है और किसके लिए कितनी राशि स्वीकृत हुई है। तकनीकी जानकारी देने निगम के आर्किटेक्ट मनोज पाठक भी मौजूद रहे।
बैठक में महापौर मंजूषा भगत, सभापति हरमिंदर सिंह टिन्नी, नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद, कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता, जन अधिकार मंच के त्रिभुवन सिंह, , नरेंद्र सिंह टुटेजा, रंजन खेड़पांडे, नितिन अभय पालोरकर, द्वितेंद्र मिश्रा, आईबी तिवारी, अनंगपाल दीक्षित, सुधीर पांडेय, कैलाश मिश्रा, सुजान बिंद, अनुज सिंह, डॉ. योगेंद्र सिंह गहरवार, त्रिलोचन सिंह बाबरा, अजीत अग्रवाल, आनंद यादव, अभय पालोरकर, शांतनु गर्ग, जयेश वर्मा, आदित्य गुप्ता, लव कुमार दुबे, कृष्णानंद तिवारी सहित अनेक लोग मौजूद थे.
आर्किटेक्ट मनोज पाठक ने कहा कि निर्माण के दौरान तकनीकी परेशानियों और ड्रेनेज व्यवस्था की खामियों के कारण सड़कों की हालत जल्दी खराब होती है।
यदि सही तरीके से सड़क बने तो डामरीकरण की आयु 20 साल तक हो सकती है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि अंबिकापुर की सड़कों के सुधार के लिए सड़क सत्याग्रह का प्रतिनिधिमंडल रायपुर जाकर मुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री से मुलाकात करेगा।सभी ने आश्वासन दिया कि दलगत भावना से ऊपर उठकर शहर के विकास के लिए एकजुट रहेंगे।
32 करोड़ की सड़क टूटी है, सात करोड़ से क्या होगा:नेताप्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद ने कहा कि दलगत भावना से ऊपर उठकर सड़कों के निर्माण के लिए सभी को आगे आना होगा।उन्होंने कहा कि अंबिकापुर शहर की टूटी सड़कों के लिए 32 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। मात्र सात या 10 करोड़ से कुछ भी संभव नहीं।
उन्होंने कहा कि कई बार नागरिकों के दबाव में कम राशि से ज्यादा सड़कें बना दी जाती हैं, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है।
लगे सूचना बोर्ड ,पारदर्शिता जरूरी: डॉ योगेंद्र सिंह गहरवार
सड़क सत्याग्रह के संयोजक डॉ. योगेंद्र सिंह गहरवार ने कहा कि शहर की सड़कें कभी भी अच्छी नहीं मिलीं। उन्होंने सुझाव दिया कि जहां भी सड़क निर्माण हो, वहां सूचना बोर्ड लगाया जाए जिसमें लागत, अवधि, ठेकेदार और अभियंता का नाम हो, ताकि नागरिक निगरानी रख सकें और गुणवत्ता पर दबाव बना सकें।
बाहरी रिंग रोड की जरूरत
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि अंबिकापुर शहर का डिजिटल सर्वे होना चाहिए ताकि सड़कों की चौड़ाई, नालियों की स्थिति और अवैध कब्जों की जानकारी साफ हो।उन्होंने कहा कि शहर से अवैध कब्जे नहीं हटे और पानी की निकासी सही नहीं हुई तो सड़कें हमेशा खराब होंगी। उन्होंने साथ ही बाहरी रिंग रोड की भी मांग रखी।
महापौर ने स्वीकारा – 75 प्रतिशत सड़क खराब
महापौर मंजूषा भगत ने स्वीकार किया कि शहर की 75 प्रतिशत सड़कें खराब हैं। उन्होंने कहा कि इस बार बारिश जल्दी शुरू होने से काम नहीं हो पाया। फिलहाल लगभग 18 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं।इसमें से 15 करोड़ का टेंडर जारी है, जिसमें 11 करोड़ सड़कों के लिए और शेष भवनों के निर्माण के लिए है। उन्होंने कहा कि अब बारिश थमते ही अक्टूबर से सड़क निर्माण शुरू होगा।
गुणवत्ता पर नजर बनाए रखें नागरिक
सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा नेता कैलाश मिश्रा ने कहा कि सत्ता किसी की भी हो नागरिकों को सुविधाओं से मतलब है इस समय सड़के अत्यधिक खराब है प्राथमिकता निर्माण की हो और निर्माण भी गुणवत्ता युक्त हो. इसलिए सड़क सत्याग्रह के साथ शहर के नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वह गुणवत्ता पर नजर बनाए रखे। शुरू से ही सड़क सत्याग्रह से जुड़े नरेंद्र सिंह टूटेजा ने खराब सड़कों के कारण ना सिर्फ स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है बल्कि बाहर से भी जो लोग आते हैं उन्हें गलत संदेश जाता है. हम सभी को मिल जुल कर शहर की सड़क गुणवत्ता युक्त बने इसके लिए प्रयास करना होगा.सामाजिक कार्यकर्ता सुजान बिंद ने भी बाहरी रिंग रोड पर बल देते हुए नया अंबिकापुर निर्माण की भी बात कही। विधायक प्रतिनिधि मनोज अग्रवाल ने कहा कि अंबिकापुर की सड़क जल्द बनेंगे हम सब मिलकर इसे संवारेंगे और गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य कराएंगे। सभी ने मिलकर सड़क सत्याग्रह की पहल की सराहना की।