अम्बिकापुर। सुदूर वनांचल क्षेत्र तमोर पिंगला रमकोला के जंगल में इन दिनों शासन प्रशासन की लापरवाही एवं वन विभाग के अधिकारियों निष्क्रियता और घोर लापरवाही सामने आ रही है। जहां अरबो रुपए खर्च कर जंगली जानवरों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार वन्य जीव अधिनियम के तहत संरक्षण एवं कई प्रकार के जीव जंतुओं के लिए भोजन पानी इत्यादि की व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर जंगल में नदियों को संरक्षण करने हेतु जगह-जगह तालाब डैम पोखरी की निर्माण करवाया जाता है , ताकि पानी को बचाते हुए जंगली जानवरों के लिए इस भीषण और तपती गर्मी में राहत मिल सके। मगर सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर के भी विभागीय वन अधिकारी पानी देने में असमर्थ दिखते नजर आ रहे हैं। यह सिर्फ कागजों में ही सीमित हो के रह गया है, जमीन पर कोई भी काम नहीं दिख रहा है।
भीषण तपती गर्मी में जंगली जानवर इधर-उधर भटकते हुए अपने प्यास बुझाने के चक्कर में गांव में पानी के लिए तड़पते हुआ भटकते हुए झुंडों में दिखाई दे रहे हैं, जहां जंगली जानवर भालू बंदर नीलगाय जंगली हिरण कोटरा सांभर चीतल व पशु अन्य पक्षी प्यास के मारे दम तोड़ रहे हैं। सरकार द्वारा कई तरह की कवायद इनका संरक्षण करने हेतु किया जा रहा है, मगर अधिकारियों के द्वारा इसका पूरा का पूरा पैसा बंदर बांट करते हुए सिर्फ कागजों पर ही काम किया जा रहा है।
रसूखदार रेंजर अपने कार्य स्थल पर नहीं रहते तथा हफ्ता में 15 दिन में एक बार अपने वन परिक्षेत्र में जाकर कार्यालय में जाकर हाजिरी लगाते हैं और फिर से अंबिकापुर के लिए प्रस्थान हो जाते हैं। जिसके कारण से लगातार कई जंगली जानवरों की मौत हो रही है तथा पशुओं की तस्करी के कई नाम का खुलासा हो चुका है।
इस भीषण तपती गर्मी में पानी की किल्लत की वजह से अब जंगली जानवर ग्रामीण क्षेत्र में आ रहे हैं जिनकी किसी प्रकार की देख रेख नहीं करने के कारण वन विभाग पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
निरंतर मिल रही शिकायत, होगी कार्रवाई-डीएफओ
इस विषय में डीएफओ वाइल्ड लाइफ श्रीनिवास कनेटी ने कहा कि मामले की जांच कर कर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी। निरंतर वहां की शिकायत प्राप्त हो रही है रेंजर से जवाब तलब किया जाएगा।