Sarguja express
अंबिकापुर.बलरामपुर जिले के प्रतापपुर से विधायक शकुंतला पोर्ते के जाति प्रमाणपत्र विवाद को लेकर आज कड़ी सुरक्षा के बीच सुनवाई हुई। सुनवाई में जिला स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष दोनों पक्षों ने दस्तावेज पेश किए। समिति ने सुनवाई की अगली तिथि 29 दिसंबर निर्धारित की है। हंगामे की आशंका को देखते हुए बलरामपुर कलेक्टर ने कलेक्टोरेट परिसर और आसपास के इलाकों में धारा 144 लगा दी थी। इस दौरान पुलिस फोर्स भी तैनात किया गया था। आज सुनवाई के दौरान हंगामा नहीं हुआ। इसके पहले 27 नवंबर को सुनवाई के दौरान सर्व आदिवासी समाज ने जमकर प्रदर्शन किया था।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने विधायक के जाति प्रमाण पत्र को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए प्रमाण पत्र का सत्यापन करने का आदेश बलरामपुर जिला स्तरीय छानबीन समिति को दिया है। बलरामपुर जिला स्तरीय छानबीन समिति के चौथे नोटिस पर 27 नवंबर को विधायक के वकील ने दस्तावेज जमा किया था।
विधायक शकुंतला पोर्ते के वकील ने पिछली सुनवाई में यह दावा किया था कि जिला स्तरीय छानबीन समिति को जाति प्रमाणपत्र मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है। इसलिए यह सुनवाई अवैध है। समिति के अध्यक्ष अपर कलेक्टर हैं। आज भी वकील ने यही तर्क दिया। वहीं शिकायतकर्ताओं के अधिवक्ता ने राज्य शासन द्वारा जिला स्तरीय छानबीन समिति के गठन, प्रावधान एवं क्षेत्राधिकार को लेकर जारी नोटिफिकेशन के दस्तावेज पेश किए और बताया कि समिति जाति प्रमाणपत्र के वैधता दावे की सुनवाई कर सकती है। दोनों पक्षों द्वारा पेश दस्तावेजों के अवलोकन के बाद समिति ने अगली सुनवाई की तारीख 29 दिसंबर तय की है। उसी दिन इस मामले में बहस होगी।
सर्व आदिवासी समाज ने की बैठक
सुनवाई के समय कलेक्टर कार्यालय परिसर और 500 मीटर की परिधि में धारा 144 लागू कर दी गई थी। इसके कारण बलरामपुर पहुंचे सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी ही कलेक्टोरेट पहुंचे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। सर्व आदिवासी समाज ने बलरामपुर बाजार परिसर में एक बड़ी बैठक आयोजित की गई, जिसमें समाज के प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने मामले को लेकर अपनी राय रखी। बैठक में उल्लेखनीय संख्या में लोगों की उपस्थिति रही। सर्व आदिवासी समाज ने जानबूझकर मामले का लटकाने का आरोप लगाया है।
यह है पूरा मामला
प्रतापपुर विधायक शकुंतला पोर्ते ने चुनाव के दौरान अनुसूचित जनजाति वर्ग में अधिसूचित गोंड़ जनजाति का प्रमाणपत्र जमा किया था। उनके जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए वाड्रफनगर इलाके के धन सिंह धुर्वे और एक अन्य आवेदक ने हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका लगाई है। याचिका में दावा किया गया है कि विधायक मूलतः उत्तरप्रदेश के मऊ की निवासी हैं। मऊ में गोंड़ जाति अजा वर्ग में अधिसूचित है।
याचिका के अनुसार शकुंतला पोर्ते का विवाह वाड्रफनगर क्षेत्र के बहादुर के साथ हुआ था। साल 2002-03 में शकुंतला पोर्ते का जाति प्रमाणपत्र वाड्रफनगर एसडीएम ने जारी किया है। जाति प्रमाणपत्र पति की जाति के आधार पर जारी किया गया है जो अवैध है। मामले में विधायक शकुंतला पोर्ते ने अपने बयान में कहा है कि उनका जन्म अंबिकापुर में और शिक्षा बलरामपुर में हुई है। उन्हें छत्तीसगढ़ के निवासी के रूप में जाति प्रमाणपत्र जारी किया गया है। कुछ लोग जानबूझकर बदनाम करने के लिए आरोप लगा रहे हैं।

