21 November 2024
राज्य के सबसे कम उम्र के पर्यावरणविद्, योग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य राजे सिंह पहुंचे अदाणी विद्या मंदिर …… विद्यार्थियों को दिए पर्यावरण संरक्षण और अक्षय ऊर्जा के गुर,पीईकेबी खदान में विकसित 12 लाख पेड़ के वन और 4 लाख पौधों वाली नर्सरी को सराहा
आयोजन ख़बर जरा हटके जागरूकता निरीक्षण राज्य सलाह

राज्य के सबसे कम उम्र के पर्यावरणविद्, योग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य राजे सिंह पहुंचे अदाणी विद्या मंदिर …… विद्यार्थियों को दिए पर्यावरण संरक्षण और अक्षय ऊर्जा के गुर,पीईकेबी खदान में विकसित 12 लाख पेड़ के वन और 4 लाख पौधों वाली नर्सरी को सराहा

Sarguja express…….

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ राज्य में योग और पर्यावरण विषय में शोध कर केवल 10 वर्ष की उम्र में ही दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले डॉ आदित्य राजे सिंह 20 अगस्त, मंगलवार को अदाणी विद्या मंदिर में अक्षय ऊर्जा दिवस पर आयोजित एक समारोह में शामिल हुए। इतनी कम उम्र में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त करने तथा गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने वाले आदित्य पर्यावरण के क्षेत्र में स्कूल के छात्रों को जागरूक करने अपने दो दिवसीय प्रवास में सोमवार को सरगुजा पहुंचे। यहां उन्होंने उदयपुर ब्लॉक में स्थित अदाणी विद्या मंदिर में पढ़ने वाले कक्षा 9 वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को संबोधित किया। आदित्य ने छात्रों को अपनी शोध और उपलब्धि के बारे में बताया। उन्होंने छात्रों को दुनिया में चल रहे पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न उपायों की जानकारी दी।
एक तरफ जब विश्व में भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र मे सबसे तेजी से बढ़ रहा है, तब भी आने वाले दो दशक में किफायती और निरंतर बिजली के लिए देश की निर्भरता कोयले पर बनी रहेगी। भारत में विश्व का पाँचवा सबसे बड़ा कोयला भंडार है जो की देश की बढ़ती हुई बिजली की मांग को पूरा करने में अक्षय ऊर्जा के साथ पूरक है। ज्ञात हो कि भारत में प्रति व्यक्ति सालाना बिजली की खपत 1,400 यूनिट से भी कम है जबकि विश्व में यह औसत 3,200 यूनिट से भी ज्यादा है । ऐसे में जिम्मेदार खननकर्ता पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक प्रयास कर रहे हे। जिसमें अध्यातन तकनीक, सौर और पवन ऊर्जा के प्रयोग, ट्रक के बदले रेलवे से यातायात, और खनन की गई भूमि पर वनीकरण की पहल शामिल है।

डॉ. आदित्य राजे ने छात्रों से कहा,आप सभी भेंट के रूप में लोगों को एक पौधे लगाने के लिए दें ताकि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पेड़ लगाया जा सके, जिससे पर्यावरण तो अच्छा होगा ही साथ ही हम भी स्वस्थ रहेंगे। आदित्य का कहना है कि जब मुझे पता चला कि सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा परसा ईस्ट केते बसन (पीईकेबी) खदान में खनन की गई भूमि पर 12 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं तो उसे देखने की मेरी जिज्ञासा जागृत हुई और आज मुझे अक्षय ऊर्जा दिवस में आप लोगों से पर्यावरण संरक्षण और उन्नयन के बारे में बात करने का मौका मिला है। आदित्य ने नए विकसित वन के साथ साथ चार लाख पौधों वाली नर्सरी को देखने के दौरान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा अपनी खदान में चलाए जा रहे वृक्षारोपण के अभियान के पीछे की तैयारियों को समझा और सराहा। राजस्थान सरकार के निगम से जुड़े हुए उच्च खनन और बागवानी के अधिकारियों ने कोयला मंत्रालय द्वारा प्रतिष्ठित पाँच सितारा मानक से नवाजी गई खदान के पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता व प्रयासों को विस्तार से समझाया।

आदित्य ने अधिकारिओ से कहा कि आपने जो कहा है, वह यहां दिख रहा है और मैं यह दावे से कह सकता हूं कि आने वाले समय में यह जंगल बहुत ही शानदार और घना होगा। राजस्थान सरकार के विद्युत निगम की यह मुहिम वाकई में तारीफ के काबिल है,” । इस दौरान उन्होंने सपरिवार पहले खनन किए गए क्षेत्र में साल और अन्य फलदार पौधों का रोपण किया और खुशी जाहिर की।

दरअसल, देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में अक्षय ऊर्जा के विकास और महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस के रूप में मनाया जाता है। अक्षय ऊर्जा प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न होती है जैसे कि सौर, पवन और जल। यह ऊर्जा का एक स्वच्छ और टिकाऊ रूप है।

आदित्य राजे से मिलकर अदाणी विद्या मंदिर के छात्र-छात्राएं काफी प्रेरित हुए। कक्षा 11वीं की छात्रा प्रीति गोंड, मनजीत सारथी व अन्य साथियों का कहना है कि इतनी कम उम्र में आदित्य को देखकर और उनकी इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने की प्रतिभा हमें आश्चर्यचकित के साथ-साथ उनके जैसा कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

वहीं, स्कूल के प्राचार्य आशीष पांडे ने कहा आदित्य राजे के यहां आने का मक़सद पर्यावरण को लेकर छात्र-छात्राओं में जागरूकता लाना था। इसके साथ ही सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाके के छात्र-छात्राएं भी आदित्य राजे की तरह बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। वह भी अपने आप को किसी से कम न समझें। यह ऐसा स्कूल है जहां पढ़ने वाले लगभग एक हजार छात्रों में से 80 फीसदी आदिवासी बच्चे हैं, जिन्हें अंग्रेजी माध्यम में निःशुल्क शिक्षा सहित शिक्षण सामग्री, कॉपी, किताब, स्कूल बैग, पूर्ण गणवेश और स्कूल बस सेवा इत्यादि मुफ्त में दी जाती है। यह देश का शायद एकलौता ऐसा स्कूल है जहां छात्रों की माताऐं ही नाश्ता और मध्यान भोजन पकाती और परोसती है। आदित्य ने अदाणी विद्या मंदिर के साथ अदाणी फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे कौशल विकास केंद्र और महिलाओ द्वारा संचालित सिलाई केंद्र का भी दौरा किया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *