21 November 2024
ये कैसा विकास!, सड़क का अभाव ,खाट में ढोकर पीड़ित को अस्पताल ले जाते चली गई जान
स्वास्थ राज्य समस्या

ये कैसा विकास!, सड़क का अभाव ,खाट में ढोकर पीड़ित को अस्पताल ले जाते चली गई जान

अम्बिकापुर।बलरामपुर जिले से विकास और सिस्टम की हकीकत खोलने वाली तस्वीर सामने आई है। यह तस्वीर सरकार के विकास के दावों की पोल चीख-चीख कर बयां कर रही है। आजादी के 77 साल बाद भी विकासखंड के ग्राम शाहपुर के चुरून्डा गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है। जिसके चलते यह गांव आज भी मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाया है। इसका खामियाजा एक ग्रामीण को जान देकर चुकाना पड़ा। बारिश में सड़क मार्ग न होने के चलते बीमार ग्रामीण को खाट में ढोकर मुख्यमार्ग तक लगाया गया जिसके बाद परिजन अस्पताल लेकर पहुँचे। समय से ईलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई।

कुसमी विकासखंड के ग्राम शाहपुर के चुरुन्डा निवासी महेन्द्र सिंह पिता जगदीश सिंह 35 वर्ष की खेत में काम करने के दौरान तबियत खराब हुई। खराब रास्ता व नदी होने के कारण एंबुलेंस गाँव तक नही पहुँच पाई। जिस पर परिजनों ने ग्रामीणों की मदद से शुक्रवार को बीमार महेंद्र को मुख्यमार्ग तक करीब एक किमी खाट में ढोकर लाया। जिसके बाद परिजन किसी तरह महेंद्र को बलरामपुर जिला अस्पताल लेकर पहुँचे, जहाँ डाक्टरों ने महेंद्र को मृत घोषित कर दिया।

सामरी-चाँदो मुख्यमार्ग से जंगलो के बीच चुरुन्डा बस्ती एक किमी की दूरी पर है। गाँव के सरपंच रामसकल मिंज बताते है की गाँव में सड़क निर्माण के लिए कई बार कोशिश की गई। पर सड़क निजी भूमि से होकर जाती है और कोई ग्रामीण सड़क के लिए भूमि देने को तैयार नहीं है। बस्ती में ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से महज इसलिए वंचित है कि उनके गांव तक पक्का सड़क मार्ग नहीं है। यहां बारिश के मौसम में चार महीने में मरीजों, गर्भवतियों और बुजुगों को आने-जाने ले जाने में काफी परेशानी होती है। कई बार बीमार व गर्भवती महिलाओं को खाट में डालकर पक्की सड़क तक ले जाना पड़ता है।

रास्ता खराब होने से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाये ग्रामीण की मौत

पीड़ित मरीज को खराब सड़क व नदी होने की वजह से खाट में ढोकर उसमें ले जाना पड़ा, लेकिन समय रहते अस्पताल नहीं ले जा पाए। जिसके कारण अस्पताल पहुँचने से पहले ही उसकी मौत हो गई । ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। कई पीढ़ियों से सड़क नहीं होने से कई ग्रामीणों का जानमाल के नुकसान के साथ-साथ विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पा रहे हैं, बरसात के दिनों में हालत बद से बदतर हो जाती है।

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