16 October 2025
यह धाम न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि स्थानीय इतिहास और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ….हाथी पखना गणपति धाम में हुई भव्य महा आरती, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़….
आयोजन आस्था राज्य

यह धाम न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि स्थानीय इतिहास और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ….हाथी पखना गणपति धाम में हुई भव्य महा आरती, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़….

Sarguja express….. दीपक सराठे

अंबिकापुर
महामाया पहाड़ी स्थित हाथी पखना गणपति धाम में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य महा आरती का आयोजन बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। भगवान श्री गणेश जी की दिव्य प्रतिमा के समक्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर आराधना में लीन हो गए और पूरा परिसर भक्ति व आस्था से ओतप्रोत हो उठा।

महा आरती से पूर्व ऑर्केस्टा टीम द्वारा गणपति बप्पा की महिमा पर आधारित अनेक भक्तिमय गीत प्रस्तुत किए गए। इन गीतों पर श्रद्धालु झूम उठे और वातावरण भक्ति रस में सराबोर हो गया। महा आरती के समय पूरे धाम परिसर में गगनभेदी घोष, शंखनाद और घंटा-घड़ियालों की ध्वनि से माहौल गुंजायमान हो उठा। दीप प्रज्वलन और आरती की अलौकिक छटा ने समूचे स्थल को आस्था और भक्ति का अद्वितीय केंद्र बना दिया।

महा आरती के दौरान श्रद्धालुओं ने बड़ी आस्था और भक्तिभाव से भगवान गणपति बप्पा की आरती उतारी और ‘‘गणपति बप्पा मोरया’’ के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। महा आरती के उपरांत प्रसाद वितरण किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से सहभागिता की।

इस अवसर पर गणपति धाम परिसर का दृश्य अत्यंत मनमोहक और भक्तिमय रहा, जिसने सभी के हृदय को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

हाथी पखना गणपति धाम की महिमा और मान्यता पुराने समय से जुड़ी हुई है। यह धाम न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय इतिहास और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि हाथी पखना गणपति धाम धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व का अद्वितीय संगम है। यह स्थल महामाया पहाड़ी पर लगभग 68 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जहाँ प्राकृतिक हरियाली और शांत वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराता है। धाम का धार्मिक महत्व इस तथ्य से है कि यहाँ माँ महामाया (गौरी) के प्राचीन मंदिर के साथ स्वयंभू गणेश प्रतिमा विराजमान है, जो पूरे सरगुजा संभाग का एकमात्र स्वयंभू गणपति स्थल है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान हाथियों के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में सरगुजा रियासत से जुड़ा रहा है और भगवान श्रीराम के वनगमन से संबंधित कथाओं से भी इसका संबंध बताया जाता है।
पूजन परंपराओं में यहाँ की पवित्र मिट्टी (मटकोड़न) का गणेश प्रतिमा स्थापना से पूर्व उपयोग अब भी जारी है, जो श्रद्धालुओं के विश्वास का प्रतीक है। 2023 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक गणपति स्थापना ट्रस्ट द्वारा यहाँ स्थायी मंदिर और प्रतिमा की स्थापना की गई, जिसे मार्च 2024 में “गणपति धाम” के रूप में आधिकारिक मान्यता भी मिली। गणेश चतुर्थी पर यहाँ दस दिवसीय महोत्सव, भजन-कीर्तन, भंडारा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें दूर-दराज़ से श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
वर्तमान में वन विभाग की देखरेख में यह स्थल हरित तीर्थ के रूप में संरक्षित है और भविष्य में इसे धार्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। इससे न केवल आस्था और परंपरा का संरक्षण होगा बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और सरगुजा की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाई मिलेगी।
महा आरती में महापौर श्रीमती मंजूषा भगत, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती दिव्या सिंह सिसोदिया, आदितेश्वर शरण सिंहदेव,
सभापति हरमिंदर सिंह टिन्नी, आईजी दीपक कुमार झा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लो,  अरुणा सिंह, एच एस जायसवाल, राजीव अग्रवाल, नीलेश सिंह, अध्यक्ष शैलेश सिंह शैलू, गोल्डी बिहाड़े, द्वितेन्द्र मिश्रा, जनमेजय मिश्रा, रूपेश दुबे, संतोष दास, विकास पाण्डेय, जितेंद्र सोनी, शशिकांत जायसवाल, शरद सिन्हा, अंशुल श्रीवास्तव, अनीश सिंह, जतीन परमार, मैंगो यादव, प्रियंका चौबे, नीलम राजवाड़े, अजय सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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