पीड़ित मांझी परिवार ने पुलिस अधीक्षक सरगुजा से की शिकायत
अम्बिकापुर। बेशकीमती भूमि को विधि विरुद्ध तरीके से रेहननामा लिखाने के बहाने धोखाधड़ी करते हुये पंजीबद्ध विक्रय पत्र का निष्पादन कराये जाने तथा किसी भी प्रकार की कोई रकम प्रदान नहीं किये जाने, पंजीबद्ध विक्रय पत्र की जांच कराये जाने के साथ ही साथ अनावेदकगणों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने के संबंध में मैनपाट क्षेत्र के ग्राम ग्राम बरिमा, मांझापारा के ग्रामीणों ने अधिवक्ता धीरेंद्र शर्मा के साथ किसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक सरगुजा से की है।
ग्राम बरिमा, मांझापारा के मांझी जनजाति के
लटीराम पिता मनुराम, उम्र 70 वर्ष,
श्रीमती समारी आ.लटीराम, उम्र लगभग 55 वर्ष,
सुखमेत पिता लटीराम, उम्र लगभग 52 वर्ष,
श्रीमती सुखनी बाई 50 वर्ष व बालभगवान पिता मनीराम, उम्र लगभग 48 वर्ष ने शिकायत में बताया कि
ग्राम बरिमा, तहसील मैनपाट, पटवारी हल्का नंबर 7, जिला सरगुजा छ.ग. स्थित भूमि खसरा नंबर 254/2, 263 रकबा कमशः 0. 121, 0.360 हेक्टेयर भूमि उनके संयुक्त स्वत्व एवं आधिपत्य की भूमि है, जिसके संपूर्ण राजस्व अभिलेखों में आवेदकगणों का नाम भूमि स्वामी एवं आधिपत्यधारी के रूप में दर्ज है। उन्हें अपनी निजी आवश्यकता की पूर्ति हेतु रकम की नितांत आवश्यकता थी, जिस कारण उक्त वर्णित भूमि के संबंध में उनके एवं ग्राम बरिमा, स्कूलपारा के ओम प्रकाश पिता जयनाथ, उम्र लगभग 29 वर्ष,व रामविलास के मध्य रेहननामा के माध्यम से रखने का करार हुआ था, घटना 29.05. 2024 को अनावेदकगण आवेदकगणों को विधि विरुद्ध तरीके से अपनी मोटर सायकिल पर बिठाकर ले गये और वहां पहुंचकर उक्त वर्णित भूमि के संबंध में रेहननामा का निष्पादन न कराते हुये उक्त वर्णित भूमि के संबंध में राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मिलीभगत करते हुये पंजीबद्ध विक्रय पन्त्र का निष्पादन अपने पक्ष में करा दिया गया है। उक्त वर्णित भूमि के एवज में मात्र 20,000/-बीस हजार रुपये ही प्रदान किया गया है, जबकि, उक्त वर्णित भूमि कीमती एवं बहुमूल्य भूमि है। इस प्रकार से अनावेदकगणों के द्वारा आवेदको के साथ धोखाधड़ी एवं जालसाजी करते हुये उक्त वर्णित भूमि के संबंध में पंजीबद्ध विक्रय पत्र का निष्पादन करा लिया गया है। अनावेदकगणों के द्वारा उक्त वर्णित भूमि में जिन गवाहों का हस्ताक्षर प्राप्त किया गया है, वे भी किसी अन्य स्थान के हैं, जिनके द्वारा पंजीबद्ध विक्रय पत्र में अपना अपना फर्जी हस्ताक्षर किया गया है।
ओम प्रकाश व रामविलास द्वारा पीड़ित ग्रामीण परिवार से उनके स्वत्व एवं आधिपत्य की भूमि को विधि विरुद्ध तरीके से पंजीबद्ध विक्रय पत्र का निष्पादन कराते हुये उसके आधार पर नामांतरण कराये जाने तथा राजस्व अभिलेख संशोधित कराये जाने हेतु प्रयासरत हैं। ऐसी स्थिति में अनावेदकगणों के द्वारा आवेदकगण को धोखे में रखकर उक्त वर्णित भूमि के संबंध में निष्पादित कराये गये पंजीबद्ध विक्रय पत्र के संबंध में उचित जांच करते हुये संशोधन की कार्यवाही पर रोक लगाने व
दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने की मांग की गई है।