6 August 2025
बलरामपुर जिले मे विकास के तमाम दावों और सरकारी योजनाओं की हकीकत…गांव तक सड़क और पुल नही होने के कारण नहीं पहुंच सकी एंबुलेंस …नाले के किनारे ही प्रसूता ने बच्चे को दिया जन्म
स्वास्थ ग्राउंड रिपोर्ट बड़ी खबर राज्य विडम्बना समस्या

बलरामपुर जिले मे विकास के तमाम दावों और सरकारी योजनाओं की हकीकत…गांव तक सड़क और पुल नही होने के कारण नहीं पहुंच सकी एंबुलेंस …नाले के किनारे ही प्रसूता ने बच्चे को दिया जन्म

Sarguja express……

अंबिकापुर. बलरामपुर जिले मे विकास के तमाम दावों और सरकारी योजनाओं की हकीकत एक बार फिर सामने आई है. बलरामपुर ज़िले के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत दूरस्थ आदिवासी बहुल सोनहत गांव में रहने वाली एक पंडो जनजाति की महिला को प्रसव पीड़ा होने पर समय रहते चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई. गांव तक सड़क और पुल न होने के कारण न तो एंबुलेंस पहुंच सकी और न ही कोई त्वरित मदद. परिवार और ग्रामीणों ने मिलकर महिला को 15 किलोमीटर दूर सिविल अस्पताल रघुनाथनगर तक पहुंचाने का प्रयास किया.

पहले बाइक के सहारे कुछ दूरी तय की गई, लेकिन बीच में पड़ा उफनता नाला, जहां पुल नहीं होने के कारण उन्हें पैदल ही रास्ता पार करना पड़ा. इसी संघर्ष के दौरान रास्ते में ही महिला को प्रसव पीड़ा तेज हो गई और उसने नाले के किनारे ही बच्चे को जन्म दे दिया. नवजात को गोद में लेकर, कंधे से सहारा पाकर महिला ने पानी और कीचड़ से भरे रास्ते को पार किया. काफी कठिनाइयों के बाद वह अस्पताल पहुंची, जहां फिलहाल जच्चा और बच्चा दोनों का इलाज जारी है.

यह पहली बार नहीं है जब सोनहत और आस-पास के इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ा हो. बरसात के मौसम में इन गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय और स्वास्थ्य सेवाओं से लगभग कट जाता है. पुल और पक्की सड़कें न होने के कारण गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार और बच्चों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने में जान जोखिम में डालनी पड़ती है. घटना सामने आने के बाद स्थानीय ग्रामीणों में नाराज़गी है. उनका कहना है कि वे वर्षों से पुल और सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन समाधान शून्य रहा.

ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर एंबुलेंस या उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल पाती तो प्रसूता को ऐसी स्थिति से नहीं गुजरना पड़ता. फिलहाल प्रशासन की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. हालांकि, घटना के वायरल होने और मीडिया में आने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है और आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही क्षेत्र में स्थायी समाधान के लिए कदम उठाए जाएंगे.

इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया कि देश के दूरस्थ और आदिवासी अंचलों में आज भी सुविधाओं की भारी कमी है. यह केवल एक महिला की कहानी नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों-हजारों ग्रामीणों की सच्चाई है जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *