सीतापुर – पखवाड़े भर पहले बनते ही धराशाई हुई पुलिया का विभाग ने लीपापोती कर अमलीजामा पहनाने की कवायद तेज कर दिया है। निर्माण कार्य मे बरती गई अनियमितता कमीशनखोरी की पोल खोल कर रख दी ।जबकि किसी भी निर्माण कार्य कि गुणवत्ता संबंधित विभाग के अधिकारी व इंजीनियर के कंधे पर होती है, बावजूद इसके बनते ही पुलिया ढह गई। जो इस बात की साफ चुगली कर रही है कि इस कार्य मे बड़े पैमाने पर भ्रटाचार हुआ है। कमीशनखोरी के इस खेल मे जहां पुलिया का स्लैब ढलाई के 6 घंटे के भीतर भरभरा कर गिर पड़ा ,इसकी नीव कितनी मजबूत होगी सहज ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यही वजह है कि वहां के ग्रामीणों ने पूरे फाउण्डेशन सहित तोड़ कर पुनः निर्माण करने कि बात उठायी थी।किंतु सरपंच एवं अधिकारियो कि मिली भगत से ग्रामीणों की आवाज दबा दी गई । उसी गुणवत्ता विहीन फाउण्डेशन पर स्लैब ढलाई कर अमलीजामा पहनाने की कवायद जारी है।
विदित हो कि मुख्यमंत्री घोषणा मद से ग्राम पंचायत बेलजोरा के महूवारीडांड मे दस लाख रुपये की लागत से पुलिया का निर्माण कराया जा रहा था। जो 9 जून 2024 को बन कर तैयार हो गया था।किंतु 6 घंटे के भीतर ही रेत के घरौंदे की तरह वह भरभरा कर गिर पड़ा। जैसे ही इसकी खबर सरपंच व अधिकारियो तक पहुची तो उनके हाथ पांव फूल गये और वे अपनी नैतिक जिम्मेदारी से पल्ला झाडते हुए इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ना शुरू कर दिए।
पुलिया ढहने की खबर लगते ही काफी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंच गये और आक्रोश व्यक्त करते हुऐ निर्माण को पूरा तोड़ कर नये सिरे से पुलिया बनाने कि माँग करने लगे,उनका कहना था कि यही एक मात्र रास्ता है जहां से हम लोग अपने खेतों तक ट्रेक्टर लेकर जाते है जिससे खेती का कार्य होता है।
ग्रामीणों ने एजेंसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस पुलिया निर्माण मे जमकर अनियमितता बरती गई थी जहां सरिया से लेकर गिट्टी बालू तक दोयम दर्जे का उपयोग किया गया था। नतीजतन 6 घंटे भी पुलिया नहीं टिक पायी और ढह गयी।
मामले में सीईओ ने कहा कि मेरे संज्ञान मे आते ही एस डी ओ ( तकनीकी शाखा) को क्षतीग्रस्त हिस्सा तोड़ नया पुलिया बनाने निर्देशित किया गया है।
सरपंच बेलजोरा सरिता बघेल ने कहा सभी कार्य को सरपंच खड़ा होकर नहीं करा सकता,इसलिए गांव के लोगो को ही कार्य कराने की जिम्मेदारी दे देते है। मैं मानती हूँ कार्य मे अनियमितता हुई है,पुलिया गिरने की बारिश भी एक वजह हो सकती है ,जो भी हो परन्तु जांच करा कर , तकनीकी अधिकारी के देखरेख मे क्षतिग्रस्त हिस्सा को पुनः नया बनाया जाएगा।
ठेकेदारी प्रथा से चलता है कार्य
ग्राम पंचायत अंतर्गत सभी निर्माण कार्य का एजेंसी कागजों पर तो ग्राम पंचायत होता है, किंतु धरातल पर स्थिति कुछ और होती है।सरपंच एवं अधिकारियो मिली से निर्माण कार्य ठेकेदारी प्रथा से सम्पादित किया जाता है । महज 6 घंटे के भीतर ढह जाने वाली पुलिया भी ठेकेदारी प्रथा की भेंट चढ़ गयी।