4 November 2025
बइरबी – सायरंग रेल परियोजना : मिज़ोरम को पहली बार राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल !
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बइरबी – सायरंग रेल परियोजना : मिज़ोरम को पहली बार राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल !

Sarguja express…..

बिलासपुर….

उत्तर-पूर्व भारत में रेल संपर्क को नई दिशा प्रदान करने वाली बइरबी – सायरंग रेल परियोजना को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया है । आज़ादी के 78 वर्षों के बाद पहली बार मिज़ोरम की राजधानी आइजोल को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने का यह ऐतिहासिक अवसर है ।

लगभग 51.38 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन असम के बइरबी स्टेशन से प्रारंभ होकर मिज़ोरम के सायरंग तक पहुँचती है । इसे चार चरणों में पूरा किया गया है –

• बइरबी – हरतकी (16.72 किमी)
• हरतकी – कावनपुई (9.71 किमी)
• कावनपुई – मुअलखांग (12.11 किमी)
• मुअलखांग – सायरंग (12.84 किमी)

इस परियोजना के अंतर्गत 4 नये स्टेशन – हरतकी, कावनपुई, मुअलखांग और सायरंग विकसित किए गए हैं । ये सभी स्टेशन आधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस हैं तथा यात्री और मालगाड़ियों दोनों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाए गए हैं ।

करीब 8071 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस परियोजना को भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग परियोजनाओं में गिना जाता है । कठिन पहाड़ी इलाका, घने जंगल और लगातार भारी वर्षा जैसी प्राकृतिक चुनौतियों के बावजूद यह परियोजना समयबद्ध तरीके से पूरी की गई ।

इस परियोजना में कुल 48 सुरंगें (12,853 मीटर लंबाई), 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवर ब्रिज (ROB) और 6 रोड अंडर ब्रिज (RUB) निर्मित किए गए हैं । इनमें सबसे महत्वपूर्ण संरचना पुल संख्या 196 है, जिसकी ऊँचाई 114 मीटर है, जो क़ुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊँचा है ।

यह रेल लाइन मिज़ोरम की राजधानी आइजोल के नजदीक तक पहुँचती है । मिज़ोरम की सीमाएँ म्यांमार और बांग्लादेश से जुड़ी होने के कारण यह परियोजना सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 नवम्बर 2014 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी । अब इसके पूर्ण होने से मिज़ोरम का असम एवं शेष भारत से संपर्क सुगम होगा । आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तेज़ी से होगी, व्यापार एवं औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उत्पादों को बड़े बाजार उपलब्ध होंगे ।

साथ ही, मिज़ोरम की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर तक आसान पहुँच बनने से पर्यटन को नया आयाम मिलेगा । इससे स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आजीविका के स्थायी अवसर भी सृजित होंगे ।

यह परियोजना न केवल आर्थिक और सामाजिक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी, बल्कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है ।

 

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