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महासमुंद: अल्टीमेटम के साथ नोटिस के बाद भी प्रदेश भर में नियमितीकरण समेत अलग-अलग मांगो को लेकर नेशनल हेल्थ मिशन यानी एनएचएम के तहत नियोजित अस्थाई कर्मचारियों का आन्दोलन जारी है। कर्मचारी इस बार आप-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे है। सरकार ने ‘नो वर्क, नो पेमेंट’ का आर्डर जारी किया था जबकि कई जिलों के सीएमएचओ ने हड़ताली कर्मचरियों को नोटिस जारी कर काम में नहीं लौटने पर डिसमिस किये जाने की भी चेतावनी दी थी।
बहरहाल इस बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहे टीएस सिंहदेव आंदोलनकारी को अपना समर्थन देने महासमुंद पहुंचे हुए थे. उन्होंने वहां
बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बताया है कि, उनकी सरकार ने एनएचएम कर्मियों से किया वादा पूरा नहीं किया था, यही वजह है कि, उन्हें चुनाव में हार मिली और सरकार भी चली गई। सिंहदेव ने कहा कि, जो सरकारें जनता काम नहीं करती, वो हारती है। हम लोग भी हारे, क्योंकि हम मांग पूरी नहीं कर पाए।
स्वास्थ्य मंत्री ने का जवाब… नियमितीकरण की मांग भारत सरकार की सहमति से हो पाएगी पूरी
बता दें कि एनएचएम कर्मचारियों की मांगो को पूरा किए जाने के संबंध में हेल्थ मिनिस्टर जायसवाल ने कहा कि, एनएचएम कर्मियो के लिए 22% वेतन वृद्धि, ट्रांसफर नीति बनाने की सहमति और 30 दिनों के चिकित्सकीय अवकाश जैसी मांगों पर सहमति दी जा चुकी है। जहाँ तक एनएचएम कर्मियों के नियमितीकरण का सवाल है तो यह मांग भारत सरकार की सहमति से पूरी हो पाएगी। इस तरह स्वास्थ्य मंत्री ने रेग्यूलाइजेशन का गेंद केंद्र के पाले में डाल दिया है। प्रदेश की राजधानी रायपुर समेत सभी जिला मुख्यालयों में 18 अगस्त से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल का सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में NHM के तहत लगभग 16 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं।