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अंबिकापुर/उदयपुर. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की परसा खुली खदान में विकसित विशेष उद्यानिकी नर्सरी का उद्घाटन खदान परिसर में किया गया। यह पहल पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और सतत हरित विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
उद्घाटन के अवसर पर नर्सरी स्थल पर विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिससे पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को साकार रूप मिला। इस नर्सरी में अब तक 15 से अधिक स्थानीय वन प्रजातियों के 20,000 से अधिक पौधे सफलतापूर्वक तैयार किए जा चुके हैं। इनमें साल, महुआ, तेंदू, साजा, बहेड़ा, इमली, आम, कटहल, जामुन और नीम जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के पुनरुद्धार में सहायक होंगी। पौधों की देखभाल के लिए अत्याधुनिक टपक सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है और प्रशिक्षित वनस्पतिशास्त्री प्रत्येक पौधे की नियमित निगरानी करेंगे। इस नर्सरी को और भी आधुनिक और सुसज्जित बनाने में कई स्थानीय लोगों का योगदान जुड़ा है।
इस परियोजना को सफल बनाने में वॉशरी, माइन और सिविल विभागों का विशेष सहयोग रहा। यह उपलब्धि टीमवर्क, समर्पण और पर्यावरणीय दायित्व के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। परसा खुली खदान की यह पहल न केवल खनन क्षेत्र में हरित संतुलन बनाए रखने का एक उदाहरण है, बल्कि अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को भी इसी दिशा में प्रेरित कर सकती है।
राजस्थान सरकार की परसा ईस्ट केते बासन (पीईकेबी) खदान द्वारा विकसित नर्सरी पहले ही अपनी सफलता का उदाहरण प्रस्तुत कर चुकी है—खनन के बाद पुनर्वासित भूमि पर अब तक कुल 15.68 लाख पेड़ों का समृद्ध वन तैयार हो चुका है। यहां 1 लाख से अधिक साल के पेड़ 20 से 30 फीट की ऊँचाई तक पहुँच चुके हैं। पिछले तीन वर्षों में ही 4 लाख से अधिक पौधे लगाकर 1,200 एकड़ में घना जंगल तैयार किया गया है। कोयला मंत्रालय द्वारा परसा ईस्ट केते बासन खदान को प्रगतिशील खनन पद्धतियों, पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और सुरक्षित व सुचारु संचालन के कारण लगातार चार वर्षों तक पाँच सितारा रेटिंग प्रदान की गई है।
अब परसा खुली खदान की नई उद्यानिकी नर्सरी इस गति को और आगे बढ़ाएगी, वनीकरण की प्रक्रिया को तेज करते हुए आने वाले कल को और भी हरा-भरा और सतत बनाएगी।