23 November 2024
पंजाबी के महत्वपूर्ण कवियों में शामिल थे सुरजीत पातर
आयोजन राज्य

पंजाबी के महत्वपूर्ण कवियों में शामिल थे सुरजीत पातर

अंबिकापुर। प्रगतिशील लेखक संघ ने श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर  कवि सुरजीत पातर, प्रो. चौथी राम यादव और अतुल अंजान को श्रधान्जली दी। सुरजीत पातर के निधन को साहित्य  का बड़ा नुकसान बताते हुए जीतेंद्र सोढ़ी ने कहा कि पंजाबी भाषा के सबसे महत्वपूर्ण कवियों में शामिल सुरजीत पातर को  सिर्फ पजाबी कवि कहना उचित नही है। वे जन कवि और पंजाबी भाषा के पाठकों में बहुत लोकप्रिय थे। जालंधर कृषि विश्वविद्यालय में पंजाबी भाषा के प्रोफेसर रहते हुए उन्हें कविता के लिए साहित्य अकादमी सम्मान और पद्मश्री से विभूषित किया गया था।  राजेश मिश्र ने कहा कि प्रो .चौथीराम यादव  हजारी प्रसाद के शिष्य परंपरा में आते हैं। वे स्पष्ट वक्ता थे उनके विचार जन पक्षधर होते थे। वे अंतिम समय तक  सक्रिय रहे। वे वास्तविक जन बुद्धिजीवी और एक जनपक्षधर आलोचक थे।  उन्होंने प्रगतिशील अस्मिता विमर्श को स्थापित करने का महत्वपूर्ण काम किया।  उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ के बिलासपुर में संपन्न हुए राज्य अधिवेशन में सक्रिय भागीदारी  की उनके वक्तव्य को आज भी याद उनकी आलोचना पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उन्हें बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के साहित्य साधना सम्मान, अस्मिता सम्मान, कबीर सम्मान, अंबेडकर प्रियदर्शी सम्मान और लोहिया साहित्व सम्मान आदि से सम्मानित किया गया था।  वेद प्रकाश अग्रवाल  ने अतुल अनजान के आकस्मिक निधन पर दुख जताते हुए कहा कि – हमने   मेहनतकशों की एक प्रखर आवाज को खोया है।
अतुल अंजान ने अपने राजनीतिक सफर के दौरान चार साल नौ महीने जेल में भी बिताए. उनके पिता डॉ एपी सिंह एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी थे।यशवंत वासनिक के आकस्मिक निधन पर शोक जताते हुए प्रलेस अध्यक्ष डॉ. मृदुला सिंह ने कहा कि – हमने एक जुझारू साथी खोया है। यशवंत वासनिक ‘ ढाई आखर प्रेम’ जत्था के मुंबई और फिर दिल्ली पड़ाव में  अपने जनगीत और नाट्य प्रस्तुतियों से जनमानस को झकझोर दिया था ।मृदुला सिंह ने  कहानीकार मालती जोशी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि-  वे किसी संगठन से जुड़ी हुई नही थी किंतु उनकी सादगीपूर्ण जीवन शैली ,सहजता और आत्मीयता  से सबको अपना बना लेती थी।उनका साहित्य भारतीय परिवार और समाज  का प्रतिबिंब है।हिन्दी का बड़ा पाठक  समाज उनका  प्रशंसक था। उन्होंने अपनी कहानियों से हिंदी कथा को समृद्ध किया है। प्रितपाल अरोरा ने सुरजीत पातर की कविताओं का भावपूर्ण पाठ किया। प्रलेस सचिव आशीष शर्मा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा की हमने महत्वपूर्ण विभूतियों को खोया है। डॉ. आशा शर्मा डॉ. विश्वासी एक्का अजय कुमार तिवारी एवं कृष्णा नंद तिवारी ने  गहन शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। अंत में दो मिनट का मौन  रखते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *