Sarguja express…..
अम्बिकापुर।आज “जब कला शब्दों से ऊँचा बोलती है — एक भीतरी यात्रा” शीर्षक से नगर के गोविंद विश्वास की एक भावनात्मक एकल प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ। जो 29 अप्रैल से 1 मई 2025 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र बड़ौदा में चलेगी।
इस प्रदर्शनी में, आप एक गहन भीतरी यात्रा पर आमंत्रित हैं, जहाँ स्मृतियाँ, संघर्ष और कच्चे अनुभव आपस में टकराते और घुलते हैं। रबर को प्रमुख माध्यम के रूप में उपयोग करते हुए, गोविंद विश्वास ने 17 सशक्त कलाकृतियाँ प्रदर्शित की हैं, जो कभी टूटी हुई खिलौनों की तरह, कभी अधूरी यादों के रूप में, तो कभी एक मौन चीख बनकर प्रकट होती हैं। उनकी अनूठी तकनीक ‘इम्प्रीटो’ एक आध्यात्मिक भाषा बन जाती है, जिसमें स्मृतियों का भार, विस्थापन का दर्द और पुनः जुड़ने की आशा समाहित है।
कलाकार ने बड़ौदा की महापौर पिंकीबेन सोनी, डॉ. अरुपा लाहिड़ी, प्रोफेसर दीपक कन्नल तथा प्रसिद्ध वास्तुकार दीपेन् गढ़ा जी को इस प्रदर्शनी के उद्घाटन में समय देने और उनके अमूल्य सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया है। साथ ही, इस परियोजना से जुड़े सभी सहयोगियों को भी स्नेहपूर्ण आभार प्रकट किया है।
गोविंद विश्वास ने इस प्रदर्शनी में सभी को आम आदमी करते हुए कहा कि …केवल कला को देखें नहीं — उसे महसूस करें। क्योंकि कभी-कभी, रबर की एक साधारण सी रेखा भी आपके टूटे हुए बचपन की कहानी फुसफुसा सकती है।