अम्बिकापुर।सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा को लेकर पुरे शहर में भक्तिमय माहौल व उत्साह है।रविवार को छठी मैया को पहला अर्घ्य छठ व्रतियों द्वारा दिया जाएगा।सोमवार की सुबह उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर छठी व्रती व्रत का पारण करेंगे और 36 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ेंगी।17 नवंबर को नहाय- खाय के साथ सूर्य उपासना का महापर्व छठ पर्व प्रारंभ हुआ है।
18 नवंबर को व्रती पूरे दिन व्रत रखकर शाम को घाट में पूजा करने के बाद मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाया गया जिसे खरना कहते है।सूर्य देव की पूजा करने के बाद व्रत रखने वाले इस प्रसाद को ग्रहण किए।छठ व्रत के तीसरे दिन 19 नवंबर को सूर्य देव की पूजा की जाएगी, इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है।चौथे दिन 20 नवंबर को सूर्य देव को जल देकर छठ का समापन किया जाता है,इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं,इसके बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जता है।
यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दौरान भक्त 36 घंटे का निर्जल उपवास कर छठी मइया से संतान के स्वास्थ्य लाभ, सफलता और दीर्घायु के लिए वरदान मांगते हैं। यह व्रत पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत व्रत का पारणा करने से संपन्न होता है।
मान्यता है कि छठी मइया का पवित्र व्रत रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही सारे दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं। इस व्रत से निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।छठ पूजा व्रत के नियम व्रत रखने के दौरान पलंग या तख्त पर सोने की मनाही होती है। व्रती को चारों दिन नए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। व्रत रखने के दौरान सात्विक भोजन ही करें। अम्बिकापुर नगर के शंकर घाट, केना बांध,घुनघुट्टा नदी, बाबूपारा तालाब,शिवधारी तालाब सहित विभिन्न छठ घाटों में समितियों द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। अंबिकापुर नगर में श्रद्धालुओं की सर्वाधिक भीड़ शंकर घाट में उमड़ती है।महामाया सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सोनी ने बताया कि छठ घाट में सभी तैयारी पूर्ण कर ली गई है,इस बार शंकर घाट में लगभग 50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।शंकर घाट को महामाया सेवा समिति द्वारा आकर्षक रूप से सजाया गया है। श्रद्धालुओं के रुकने के लिए टेंट पंडाल लगाया गया है एवं अलाव की व्यवस्था भी की गई है।