14 November 2024
छत्तीसगढ़ की डॉक्टर विनीता को दो साल में मिली ये उपलब्धि; ,…. बनाया 100 जुड़वां बच्चों की डिलीवरी का अनोखा रिकॉर्ड:
ख़बर जरा हटके राज्य स्वास्थ

छत्तीसगढ़ की डॉक्टर विनीता को दो साल में मिली ये उपलब्धि; ,…. बनाया 100 जुड़वां बच्चों की डिलीवरी का अनोखा रिकॉर्ड:

सरगुजा एक्सप्रेस…..छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की डॉ विनीता धुर्वे ने महज ढाई साल में 100 जुड़वां बच्चों की डिलीवरी कराकर देश में एक रिकॉर्ड बनाया है। डॉ विनीता धुर्वे अब तक 14 हजार 500 प्रसव करा चुकी हैं। वे देश की पहली डॉक्टर हैं, जिन्होंने जुड़वां बच्चों की डिलीवरी कराने का अनोखा रिकॉर्ड दर्ज किया है।

दरअसल, डॉ विनीता धुर्वे दुर्ग जिला अस्पताल की मदर चाइल्ड यूनिट में पदस्थ हैं। शुक्रवार को उन्होंने फिर दो जुड़वां बच्चियों की डिलीवरी कराई है। ये उनकी जुड़वां बच्चों की 100वीं डिलीवरी थी। खास बात ये है कि उन्होंने इस दौरान सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी कराई है। वहीं, 6, 480 प्रसव सीजेरियन ऑपरेशन से करा चुकी हैं।

डॉ विनीता धुर्वे ने इससे पहले 72वें जुड़वां बच्चों की डिलीवरी कराकर देश में अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। जब दुर्ग जिला अस्पताल में 100वें जुड़वां बच्चे हुए तो स्टाफ और उनके चेहरे पर खुशी की लहर थी। बताया जा रहा है कि भिलाई के कैलाश नगर निवासी शेख फैयाज की पत्नी बुशरा परवीन ने जुड़वां बेटियों को जन्म दिया है।

डॉ विनीता धुर्वे ने बताया कि 2003 में रायपुर मेडिकल कॉलेज से MBBS करने के बाद दुर्ग में ही इंटर्नशिप की। इसके बाद दुर्ग जिले के रसमड़ा, अहिवारा सहित अलग-अलग जगहों पर पदस्थ रही हैं। 2011 से दुर्ग जिला अस्पताल के मैटरनिटी वॉर्ड में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं।

2022 से 2024 के बीच शतक का रिकॉर्ड

डॉ विनीता धुर्वे ने बताया कि 2011 से वे लगातार मैटरनिटी वार्ड में डिलीवरी करा रही थीं, लेकिन काउंटिंग करने में कभी ध्यान नहीं दिया। 2022 से 2024 के बीच 100वें जुड़वां बच्चों की डिलीवरी कराकर शतक का रिकॉर्ड बनाया है।

उपलब्धि में स्टाफ का भी हाथ

डॉ विनीता ने बताया कि उनकी इस उपलब्धि में उनके स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला। इसी वजह से यह रिकॉर्ड बन पाया है। कभी भी जुड़वां बच्चों की डिलीवरी का केस आता है तो स्टाफ के सभी डॉक्टर उनके पास ही रेफर करते हैं।

उन्होंने कहा कि जुड़वां बच्चों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपना पूरा समय दिया। डिलीवरी के लिए रात में किसी भी समय फोन आया हो या किसी भी कार्यक्रम में गई हों तो उसे छोड़कर अपने लक्ष्य को पूरा करने पहुंच जाती थीं।

 

 

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