Sarguja express
अम्बिकापुर।इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के माननीय कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के संरक्षण एवं डॉ. एस. एस. टुटेजा, निदेशक विस्तार सेवाएं के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र, सरगुजा द्वारा कृषि एवं कृषि कल्याण विभाग भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित, नेशनल बीकीपिंग और हनी मिशन (एन.बी.एच.एम.)अंतर्गत मधुमक्खी पालन विषय पर सात दिवसीय दक्षता प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 07. 01.2025 से 13.01.2025 तक आयोजित किया जा रहा हैl जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र, सरगुजा के वैज्ञानिकों द्वारा सूरजपुर जिले के 25 किसानों एवं कृषि मैदानी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा l जिसकी शुरुआत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुश्री संपदा पैकरा, उपसंचालक कृषि, जिला-सूरजपुर तथा डॉ राजेश चौकसे वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, सरगुजा की अध्यक्षता में आयोजित की गई l डॉ आर. चौकसे जी द्वारा सरगुजा अंचल में मधुमक्खी पालन की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने तथा दलहन एवं तिलहन फसलों का क्षेत्र विस्तार हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया गया l साथ ही मधुमक्खी पालन को अतिरिक्त आय का साधन बताते हुए मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले उत्पाद जैसे कि: मधुरस, मधु कॉलोनी, प्रोपोलिस, रॉयल जेली, परागकण, मधु विष, मधुमक्खी से प्राप्त मोम से लाभ अर्जित करने के बारे में भी बताया गया l डॉ. पी. के. भगत, सहायक प्रध्यापक किट विज्ञान एवं मुख्य अन्वेषक, एक्रिप परियोजना (हनी बी) द्वारा मधुमक्खी पालन में मौसमी प्रबंधन की सटिक जानकारी साझा की गई l केंद्र के किट विज्ञान के विषय वस्तु विशेषज्ञ श्री सूर्य प्रकाश गुप्ता जी द्वारा मधुमक्खी पालन का महत्व एवं कृषि में उपयोगिता के बारे में चर्चा की गई l साथ ही मधुमक्खी पालन से संबंधित उपकरणों एवं औजारों से किसानों को अवगत कराते हुए मधुमक्खी पालन को कृषि में शामिल करने के हेतु प्रेरित किया गया l श्री वीरेंद्र कुमार, कार्यक्रम सहायक, किट विज्ञान द्वारा मधुमक्खी पालन के विशेष तथ्यों जैसे: मधुमक्खी की विशेषताएं, मधुमक्खी की प्रकार, मधुमक्खीयों के रखरखाव, जगह चुनाव एवं रोग एवं कीट व्याधि प्रबंधन संबंधित बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए किसानों का ध्यान आकर्षित किया गया l डॉ. सचिन जायसवाल, तकनीकी सहायक एक्रिप परियोजना (हनी बी) द्वारा शहद प्रसंस्करण कि उन्नत तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी l प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के वैज्ञानिको द्वारा बताया गया कि सरगुजा अंचल में शहद की निर्भरता मुख्य रुप से वन की मधुमक्खियां पर ही रहता है जो कि एक सतत स्त्रोत नहीं हैl शहद व संबंधित उत्पाद कि सतत उपलब्धता हेतु मधुमक्खी पालन एक अच्छा विकल्प है इसके लिए केवल फसल चक्र परिवर्तन व बहू वार्षिक पेड़ों को लगाकर सुगमता से किया जा रहा है l